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बेंगलुरु: भारत में इडली सबसे स्वास्थ्यप्रद खाद्य विकल्पों में से एक मानी जाती है। इसे पचाना आसान होता है और इसे बनाने के लिए किसी तेल या मसाले की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
हालाँकि, कर्नाटक खाद्य सुरक्षा विभाग की एक जांच में हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं। खासकर अगर आप इडली बाहर यानी किसी होटल या सड़क किनारे वेंडर से खरीदकर खा रहे हैं तो सावधानी की जरूरत है। कई बार तो ये कैंसर का कारण भी बन सकती है। कैसे, आईए समझते हैं...
इडली में कैंसर वाले तत्व?
बेंगलुरु में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा लगभग 251 होटलों और सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर बनाई गई इडली के लगभग 500 नमूने एकत्र किए गए। शुरुआती जांच के बाद इनमें से 51 नमूने असुरक्षित माने गए। रिपोर्टों के अनुसार, उनमें कैंसरकारी पदार्थ मौजूद थे, जिससे पता चलता है कि उपभोक्ताओं को इसके सेवन से कैंसर हो सकता है। अभी कई नमूनों के नतीजे आने बाकी हैं।
दूषित नमूनों का पता लगाने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने उन होटलों और विक्रेताओं द्वारा इडली को तैयार करने के तरीकों की जांच की। इडली बैटर को आमतौर पर ताजे सूती कपड़ों पर फैलाया जाता है, जिसे बाद में इडली पैन पर रखा जाता है और भाप में पकाया जाता है।
इडली बनाने में प्लास्टिक का हो रहा इस्तेमाल
हालाँकि, होटल और स्ट्रीट वेंडर अब सूती शीट के बजाय प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल करने लगे हैं। अधिकारियों का दावा है कि लगातार गर्म करने पर ये प्लास्टिक रसायन पैदा करते हैं, जिनमें से कुछ कैंसरकारी हो सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कई प्लास्टिक शीटों में बिस्फेनॉल ए (बीपीए), फेथलेट्स और अन्य रसायन होते हैं, जो गर्म होने पर भोजन में शामिल हो सकते हैं।
ये रसायन और माइक्रोप्लास्टिक्स को रिलीज़ करते है जो समय के साथ शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे आगे चलकर कैंसर और खासकर स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। कथित तौर पर ये रसायन हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिक संबंधी विकारों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।
नमूनों की जांच के परिणामों के बाद अधिकारियों ने कहा कि वे आने वाले दिनों में सुझाव दे सकते हैं कि फूड बिजनेस में प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
इस बीच कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि राज्य भर के 52 होटल इडली तैयार करने के लिए पॉलिथीन शीट का उपयोग कर रहे थे।
उनके अनुसार, पॉलिथीन, विशेष रूप से इसकी पतली चादरों का उपयोग, गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है क्योंकि यह कैंसरकारी है। उन्होंने लोगों से भी अपील की उन्हें अगर किसी होटल आदि के द्वारा प्लास्टिक शीट के इस्तेमाल का पता चलता है तो वे इस बारे में अधिकारियों को सूचित करें।
इससे पहले 2024 में राज्य सरकार ने फूड कलरिंग एजेंट, रोडामाइन-बी ( Rhodamine-B) पर प्रतिबंध लगाया था। इसका उपयोग गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी जैसे व्यंजनों में व्यापक रूप से रंग के लिए किया जाता है।
राव ने कहा, 'हमने गोभी मंचूरियन डिश पर एक विशेष अभियान चलाया है और पाया है कि इस डिश को बनाने में हानिकारक रोडामाइन-बी का उपयोग किया जा रहा है। यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रंग भरने वाला एजेंट है और हमने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। सरकारी आदेश का पालन नहीं करने पर सात साल या आजीवन कारावास हो सकता है और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।'