कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी की मौत की बरसी पर रखा गया मौन...जवाब में भारत ने दिलाई कनिष्क विमान हादसे की याद

कनाडा में हाउस ऑफ कॉमन्स में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की पहली बरसी पर मौन रखा गया। पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की हत्या कर दी गई थी।

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Silence observed in Canada's Parliament on the death anniversary of a Khalistani terrorist. (Photo - IANS)

कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकवादी की मौत की बरसी पर रखा गया मौन (फोटो- IANS)

टोरंटो: खालिस्तानी समर्थकों को पनाह देने को लेकर भारत से जारी तनातनी के बीच कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की पहली बरसी पर मंगलवार को कुछ क्षणों के लिए मौन रखे जाने का वाकया सामने आया है। साथ ही कनाडा के एक शहर वांगकुव (Vancouver) में भी भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने कई लोगों ने प्रदर्शन किया।

इनके हाथ में खालिस्तानी झंडे और तलविंदर सिंह परमार की फोटो वाले पोस्टर भी थे। परमार को 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 (कनिष्क) को बम से उड़ाने के आतंकी घटना का मास्टरमाइंड माना जाता है। कनाडा के इतिहास में आतंक की ये सबसे विभत्स घटना है, जिसमें 86 बच्चों समेत 329 लोग मारे गए थे।

पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में मारे गए निज्जर की 'हत्या' पर कनाडा की संसद में मौन रखने की घोषणा स्पीकर ग्रेग फर्गस ने की। इस पर सदन की सभी पार्टियों ने सहमति जताई।

भारत ने कनाडा को दिलाई विमान हादसे की याद

संसद में एक खालिस्तानी आतंकवादी के सम्मान में उसकी बरसी पर मौन रखने की घटना के परिप्रेक्ष्य में वांगकूव में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने दुनिया को एयर इंडिया की उड़ान 182 (कनिष्क) को बम से उड़ाने की घटना की याद दिलाई।

भारतीय महावाणिज्य दूत के आधिकारिक एक्स हैंडल से बुधवार को एक पोस्ट किया गया। इसमें लिखा गया, 'भारत आतंकवाद के खतरे के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे खड़ा है और इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।'

पोस्ट में कहा गया है, '23 जून 2024 को कायर आतंकवादियों द्वारा एयर इंडिया की उड़ान 182 (कनिष्क) को बम से उड़ाने की 39वीं बरसी है। वह नागर विमानन के इतिहास में आतंक से जुड़े सबसे जघन्य हवाई हादसों में से एक था जिसमें 86 बच्चों सहित 329 निरपराध लोगों की जान चली गई थी।'

वाणिज्य दूतावास ने बताया कि वह 23 जून को शाम 6.30 बजे स्टेनली पार्क के केपरली प्लेग्राउंड क्षेत्र में एयर इंडिया मेमोरियल पर एक स्मारक कार्यक्रम का भी आयोजन करेगा। पोस्ट में कहा गया है, "वांगकूव स्थित महावाणिज्य दूत भारतीय समुदाय के लोगों से कार्यक्रम में शामिल होकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने की अपील करते हैं।'

भारत ने निज्जर को आतंकी घोषित किया था

भारत ने निज्जर को गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 'नामित आतंकवादियों' की सूची में डाल रखा था। दूसरी ओर कनाडा ने निज्जर हत्या मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। कनाडा का आरोप है कि हत्या में भारतीय अधिकारी शामिल थे, लेकिन वह इसका सबूत देने में विफल रहा है। इससे कनाडा और भारत के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा उसकी धरती से संचालित खालिस्तान समर्थक तत्वों को बेखौफ पनाह दे रहा है।

क्या था कनिष्क विमान हादसा?

यह घटना ऑपरेशन ब्लूस्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की है। एयर इंडिया की फ्लाइट-182 ने 23 जून 1985 को कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर से उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट को मॉन्ट्रियल से लंदन और फिर दिल्‍ली होते हुए मुंबई पहुंचना था। इस फ्लाइट के लिए उड़ान भर रहे बोइंग 747-237B का नाम सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था।

विमान अपने लक्ष्य तक पहुंचता, उससे पहले ही इसे आयरिश हवाई क्षेत्र में हजारों फीट की ऊंचाई पर बम से उड़ा दिया गया। हादसे से करीब पांच मिनट पहले विमान ने शेनॉन एयर ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर से संपर्क साधा था लेकिन फिर रडार स्क्रीन से गायब हो गया। हादसे के बाद विमान अटलांटिक महासागर में गिर गया।

इसी दिन एक और घटना जापान की राजधानी टोक्यो के नरिता हवाई अड्डे पर हुई। एयर इंडिया के एक अन्य विमान में विस्फोट किया गया था जिसमें सामान ढोने वाले दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी।

बाद में कनिष्क विमान हादसे को लेकर ये बात सामने आई कि वांगकूव के रास्ते से भेजा गया बम कार्गो में रखा गया था। विमान के कुछ अवशेष आयरिश तट के पास पाए गए। इस घटना में कोई जीवित नहीं बचा था। इसके लिए मुख्य रूप से आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा को जिम्मेदार ठहराया गया जबकि कनाडाई जांच ने इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का भी उल्लेख किया था। इस विमान हादसे में 329 लोगों की मौत हुई। मारे गए लोगों में 268 कनाडाई नागरिक थे और ज्यादातर भारतीय मूल से थे। 24 भारतीयों की भी मौत हुई।

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