नई दिल्लीः हैदराबाद से पांचवीं बार सांसद चुने गए असदुद्दीन ओवैसी ने लोक लोकसभा में शपथ लेने के दौरान ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाकर विवाद पैदा कर दिया। ओवैसी ने मंगलवार को उर्दू में शपथ लेने के दौरान अपने गृह राज्य तेलंगाना पर गर्व व्यक्त किया, बीआर अंबेडकर का जिक्र किया और ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया। इसपर भाजपा के कई सांसदो ने विरोध दर्ज कराया।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी द्वारा फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने पर भाजपा ने कहा कि “मौजूदा नियमों के अनुसार” उन्हें संसद से अयोग्य ठहराए जाने के आधार हैं। हालांकि ओवैसी ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है। हालांकि कई मीडिया रिपोर्टो में संविधान के अनुच्छेद 102 का हवाला दिया गया है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी अनुच्छेद 102 का उल्लेख किया है।
मालवीय ने कहा, “मौजूदा नियमों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी को विदेशी राज्य, यानी फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है।” मालवीय ने इसपर लोकसभा सचिवालय को “ध्यान देने” को कहा।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के पिता ने राष्ट्रपति से की शिकायत
ओवैसी की सांसदी समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति से शिकायत की गई है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने भी कहा कि उनके पिता और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत की है और ओवैसी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
A complaint has been filed before the President of India against Mr. Asaduddin Owaisi in terms of article 102 and 103 of the constitution of india by Mr. Hari Shankar Jain seeking his disqualification as member of parliament. @rashtrapatibhvn @adv_hsjain
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) June 25, 2024
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 102 और 103
अनुच्छेद 102 के अनुसार, कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा – यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर हो, या उसे अदालत द्वारा दिमागी रूप से अक्षम घोषित किया गया हो, या दिवालिया घोषित किया गया हो, या भारत का नागरिक न हो अथवा भारत के साथ किसी दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार करता है, या उसे संसद द्वारा पारित किसी कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया हो। अनुच्छेद 103 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि अनुच्छेद 102 के तहत कोई शिकायत प्राप्त होने पर वह संबंधित सांसद की योग्यता पर फैसला लें। हालांकि कोई भी फैसला लेने से पहले चुनाव आयोग से परामर्श करना जरूरी है।
ओवैसी ने फिलिस्तीन के समर्थन में लगाए नारे पर क्या कहा?
सदन के बाहर अपने कार्यों का बचाव करते हुए ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं… यह कैसे गलत है? मुझे संविधान का प्रावधान बताएं? आपको दूसरों ने क्या कहा, यह भी सुनना चाहिए। मैंने वही कहा जो मुझे कहना था। महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था, इसे पढ़ें।” फिलिस्तीन के संदर्भ में पूछे जाने पर ओवैसी ने कहा, वे उत्पीड़ित लोग हैं।
इस विवाद पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वे ऐसे बयानों को नियंत्रित करने वाले नियमों की समीक्षा करेंगे। उन्होंने मीडिया से कहा कि “हम फिलिस्तीन या किसी अन्य राष्ट्र के प्रति कोई शत्रुता नहीं रखते हैं। चिंता इस बात को लेकर है कि शपथ लेते समय किसी सदस्य द्वारा किसी अन्य देश की प्रशंसा में नारे लगाना उचित है या नहीं। हम नियमों की जांच करेंगे। शपथ के अंत में फिलिस्तीन के उल्लेख के बारे में कई सदस्यों ने मुझसे संपर्क किया है।”
वहीं, प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने कहा कि अगर ओवैसी ने कोई आपत्तिजनक बात कही है तो उसे रिकॉर्ड से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि केवल शपथ और प्रतिज्ञान ही रिकॉर्ड में रहेगा। प्रोटेम स्पीकर ने कहा, सदन में कहा कि ” कृपया शपथ और प्रतिज्ञान के अलावा कुछ भी कहने से बचें। केवल इसे रिकॉर्ड किया जाना है, इसका पालन किया जाना चाहिए।