नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन युद्ध के मोर्चे से भारत वापस आए एक शख्स ने आपबीती बताई है। तेलंगाना के नारायणपेट के मोहम्मद सुफियान ने बताया है कि कैसे उसे एक भारतीय एजेंट ने रूस में फेक जॉब का ऑफर देकर उसे वहां भेजा था और यूक्रेन के खिलाफ रूसी लड़ाई में उसे शामिल किया था।
सुफियान ने कहा है कि रूस पहुंचने के बाद उसे उसकी सीमा से 60 किमी दूर यूक्रेन के एक शिविर में रूसी सैनिकों के साथ तैनात किया गया था। वहां पर हर रोज यूक्रेन द्वारा ड्रोन, मिसाइल और गोलियों से हमले होते थे।
सूफियान ने बताया कि उसके साथ भारत समेत अन्य देशों के लोग भी वहां तैनात किए गए थे। उसने कहा कि मोर्चा न संभालने और इसका विरोध कर पर उन्हें सजा भी दी जाती थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के खिलाफ रूस की लड़ाई में अभी तक 45 भारतीय देश वापस लौट चुके हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल के अनुसार, अभी भी वहां पर 50 से अधिक भारतीय फंसे हुए हैं जिन्हें देश वापस लाने की कवायद जारी है।
कैसे शख्स गया था रूस
तेलंगाना के सूफियान ने बताया कि उसे एक एजेंट ने यह कहकर रूस भेजा था कि उसे रूसी सरकार के ऑफिस में बतौर गार्ड या फिर एक सहायक के तौर पर काम करना है। वहां जाने पर उसे एक दस्तावेज पर साइन कराया गया था और फिर उसे शारीरिक और हथियार प्रशिक्षण के लिए एक रूसी सेना शिविर में भेज दिया गया था।
इस दौरान उसे राइफल और स्नाइपर की ट्रेनिंग दी गई थी और फिर यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र के मोर्चे पर तैनात किया गया था। सूफियान ने कहा है कि जब वे इसका विरोध करते थे तो उन पर हवाई फायरिंग कर उन्हें डराया जाता था और मोर्चा संभालने के लिए मजबूर किया जाता था।
गुजरात के युवक की हो गई थी मौत
इसी साल फरवरी में यूक्रेनी ड्रोन हमले में 23 रूसी सैनिकों के साथ गुजरात के एक युवक की भी मौत हो गई थी। इसके बाद से मोर्च पर तैनात अन्य देश समेत भारतीयों ने भी लड़ाई को जारी रखने का और भी विरोध किया था।
सूफियान ने कहा कि उनके विरोध के बाद सजा के तौर पर उनसे गड्ढे खुदवाई जाती थी। यही नहीं उन्हें बिना किसी भोजन के सर्दी वाली रातों में बेगैर किसी तंबू के बिताने के लिए मजबूर किया जाता था। उनका विरोध जब ज्यादा बढ़ा तो सेना द्वारा उन्हें मोर्चे से दूर सुरक्षित क्षेत्र में ले जाया गया जहां उन्हें घायलों की देखभाल करवाया जाता था।
कैसे भारत आया सूफियान
सूफियान ने बताया कि उसके साथ गुलबर्गा के तीन अन्य युवा भी वहां फंसे हुए थे। छह सितंबर को एक स्थानीय कमांडर ने उन्हें सूचित किया कि उनका अनुबंध रद्द हो गया है और उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
गुलबर्गा के तीन अन्य युवाओं और कुछ विदेशी नागरिकों के साथ सुफियान को सेना की बस से मास्को ले जाया गया जहां भारतीय दूतावास ने उनकी भारत वापसी की व्यवस्था की थी।
सूफियान ने वेतन का ऐसे किया इस्तेमाल
मोर्चे से वापस लौटे सूफियान ने बताया कि वहां पर उन्हें जो एक लाख वेतन देने का वादा किया था वह उन्हें किश्तों में दिया गया था। उन्होंने बताया कि उन पैसों से उन्होंने अपने लिए भोजन, सर्दी से बचने के लिए जेनेरेटर और आश्रय के लिए जगह भाडे़ पर लेने के लिए खर्च किए थे।
मॉस्को छोड़ने से पहले सेना के अधिकारियों ने बाकी वेतन देने का वादा करते हुए उनके बैंक डिटेल भी लिए गए हैं। सूफियान ने उनकी वापसी में मदद करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद किया है और फिर कभी अपने परिवार को नहीं छोड़ कर विदेश जाने की बात कही है।
सुफियान के साथ गुलबर्गा के तीन अन्य युवक भी भारत लौटे हैं। उसके साथ एक कश्मीरी और कोलकाता का एक शख्स भी सुरक्षित घर वापस लौटा है।