नई दिल्ली: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया भड़काऊ बयानों को भारत में एक बड़े आतंकी हमले का संभावित ट्रिगर माना जा रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, मुनीर द्वारा कश्मीर को पाकिस्तान की "जुगुलर वेन" (गले की नस) कहने वाले बयान ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला करने के लिए उकसाया। यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की भारत यात्रा के दौरान हुआ, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। हालांकि भारतीय एजेंसियां अभी तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं, लेकिन कई खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जनरल मुनीर के उत्तेजक भाषण ने लश्कर के संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को इस “हमले” को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित विदेशी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन में जनरल मुनीर ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का पुराना रुख दोहराया और ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ का बचाव किया। उन्होंने कहा था, “कश्मीर हमारी जुगुलर वेन था, है और रहेगा। हम अपने कश्मीरी भाइयों को भारत के कब्जे के खिलाफ उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।” इसके साथ ही, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच “असंगत मतभेद” पर जोर देते हुए पाकिस्तानियों से अपनी अगली पीढ़ी को इस विचारधारा को सौंपने का आह्वान किया।

आसिम मुनीर के भड़काऊ बयानों का असर!

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस बयान को एक “डॉग व्हिसल” के रूप में देखा, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में कट्टरपंथी तत्वों को उकसाना और भारत में अशांति फैलाना था। यह बयान भारत में वक्फ अधिनियम में बदलाव के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ भी मेल खाता है।

खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद इस साजिश का मुख्य सूत्रधार हो सकता है। इसके साथ ही रावलकोट में सक्रिय दो अन्य लश्कर कमांडरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जिनमें से एक का नाम अबू मूसा बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 18 अप्रैल को अबू मूसा ने रावलकोट में एक आयोजन किया था, जिसमें उसने खुलेआम कहा, “जिहाद जारी रहेगा, बंदूकें गरजेंगी और कश्मीर में सिर कलम होते रहेंगे। भारत कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलना चाहता है, इसलिए गैर-स्थानीय लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दे रहा है।” हमले के दौरान दर्दनाक पहलू यह रहा कि कई पीड़ितों को ‘कलमा’ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया और जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई।

हमले की योजना और तैयारी

प्रारंभिक जांच के अनुसार, लगभग छह आतंकवादियों ने, कुछ स्थानीय सहायकों की मदद से, इस हमले को अंजाम दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, ये आतंकी हमले से कुछ दिन पहले इलाके में आ चुके थे, रेकी की थी, और मौके की तलाश में थे। अप्रैल की शुरुआत (1-7 तारीख के बीच) में कुछ होटलों की रेकी किए जाने की खुफिया सूचना पहले से ही मौजूद थी।

एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, “यह कहना गलत होगा कि खुफिया एजेंसियों से चूक हुई। इनपुट्स थे, लेकिन हमलावर मौके की तलाश में थे और उन्होंने सही समय देखकर वार किया।” यह हमला जहां एक ओर भारत में तीव्र आक्रोश का कारण बना है, वहीं यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तानी भूमिका और नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

पहलगाम आतंकी हमले पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान

नई दिल्ली: पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के निकट पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले से इस्लामाबाद का कोई संबंध नहीं है। वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर हमले में हुई जानमाल की हानि पर चिंता व्यक्त की, लेकिन इसे आतंकवादी कृत्य बताने या इसकी निंदा करने से परहेज किया। पहलगाम में मंगलवार को एक मशहूर पर्यटक स्थल पर हुए भीषण आतंकी हमले में कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सत्तारूढ़ पीएमएल-एन पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी सहयोगी आसिफ ने जम्मू-कश्मीर में हिंसा के लिए के लिए 'घरेलू' ताकतों को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि खबर लिखे जाने तक भारत की ओर से इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराने वाली कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई। आसिफ ने लाइव 92 न्यूज चैनल से बात करते हुए इस घटना से इस्लामाबाद को दूर रखने की कोशिश की।

पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं

आसिफ ने दावा किया, "पाकिस्तान का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह सब उनके घर में ही हो रहा है, अलग-अलग तथाकथित राज्यों में भारत के खिलाफ क्रांतियां हो रही हैं, एक नहीं, दो नहीं, बल्कि दर्जनों, नागालैंड से लेकर कश्मीर तक, दक्षिण में, छत्तीसगढ़ में, मणिपुर में। इन सभी जगहों पर भारत सरकार के खिलाफ क्रांतियां हो रही हैं।" आसिफ ने कहा, "ये स्थानीय स्तर पर हो रहे हैं, लोग अपने अधिकार मांग रहे हैं। हिंदुत्ववादी ताकतें लोगों का शोषण कर रही हैं, अल्पसंख्यकों का दमन कर रही हैं और ईसाइयों और बौद्धों का शोषण कर रही हैं। उन्हें मारा जा रहा है, यह उसके खिलाफ क्रांति है, इसी वजह से वहां ऐसी गतिविधियां हो रही हैं।"

उन्होंने कहा, "इस घटना में हमारा कोई संबंध नहीं है। हम किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं और किसी भी स्थानीय संघर्ष में निर्दोष लोगों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।" पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारी राष्ट्रीय नीति गैर-लड़ाकों को निशाना बनाने की अनुमति नहीं देती है, लेकिन अगर सेना या पुलिस भारत में कहीं भी अपने अधिकार मांगने वाले लोगों के खिलाफ अत्याचार कर रही है - ऐसे लोग जिनके पास मौलिक अधिकार भी नहीं हैं, अगर वे विद्रोह कर रहे हैं और हथियार उठा रहे हैं - तो पाकिस्तान को दोष देना आसान है।"

आसिफ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारी राष्ट्रीय नीति गैर-लड़ाकों को निशाना बनाने की अनुमति नहीं देती है। अगर सेना या पुलिस भारत में कहीं भी अपने अधिकार मांगने वाले लोगों के खिलाफ अत्याचार कर रही है - ऐसे लोग जिनके पास मौलिक अधिकार भी नहीं हैं, अगर वे विद्रोह कर रहे हैं और हथियार उठा रहे हैं - तो पाकिस्तान को दोष देना आसान है।"