ममता सरकार को बड़ा झटका, कलकत्ता हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ता देने पर लगाई अंतरिम रोक

ग्रुप सी और ग्रुप डी के बर्खास्त कर्मचारियों को क्रमशः 25 हजार रुपये और 20 हजार रुपये भत्ता देने का फैसला किया था। इस फैसले का विरोध करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला दायर किया गया था।

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी Photograph: (IANS)

कोलकाताः कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया है। राज्य में ममता सरकार बेरोजगार ग्रेड सी और डी कर्मचारियों को आर्थिक मदद के तौर पर भत्ता दे रही थी। हाईकोर्ट ने फिलहाल इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। बीजेपी ने इस फैसले को सही ठहराया है और कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार 11 सालों में बिना किसी उचित नीति, नियुक्ति या व्यवस्था के लगातार काम कर रही है। 

ग्रुप सी और ग्रुप डी के बर्खास्त कर्मचारियों को क्रमशः 25 हजार रुपये और 20 हजार रुपये भत्ता देने का फैसला किया था। इस फैसले का विरोध करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला दायर किया गया था। याचिकाकर्ता वो उम्मीदवार थे, जो 2016 की भर्ती प्रक्रिया के दौरान प्रतीक्षा सूची में थे।

याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?

याचिकाकर्ताओं तर्क था कि अगर राज्य भत्ता दे रहा है तो ये सभी को मिलना चाहिए। भ्रष्ट तरीकों से नौकरी हासिल करने वाले और बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण नौकरी गंवाने वालों को भत्ते देना वास्तव में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है।

उन्होंने राज्य के फैसले को गैरकानूनी बताया। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अमृता सिन्हा ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को जस्टिस अमृता सिन्हा की अदालत ने राज्य के निर्णय पर अंतरिम रोक लगा दी, जो 26 सितंबर तक प्रभावी रहेगी।

भाजपा ने ममता सरकार पर साधा निशाना

हाईकोर्ट के फैसले पर बीजेपी ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ता देने का राज्य सरकार का फैसला गैरकानूनी था। अदालत ने जो फैसला दिया है, वो बिल्कुल सही है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "पश्चिम बंगाल सरकार इन 11 साल में बिना किसी उचित नीति, नियुक्ति या व्यवस्था के लगातार काम कर रही है। कोई वित्तीय नियम या विनियमन नहीं है और एक व्यक्ति वित्तीय अनुशासनहीनता के साथ मनमाने ढंग से काम करता है। इसलिए अदालत की ओर से जारी अंतरिम आदेश और प्राथमिक अंतरिम रोक कानूनी रूप से इस वित्तीय अनुशासनहीनता को उजागर करती है।"

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