कोलकाताः कलकत्ता हाई कोर्ट ने मनरेगा को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि पश्चिम बंगाल में एक अगस्त से इसे फिर से शुरू करें। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अतीत में हुई अनियमितताओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई विशेष शर्त भी लगा सकती है। 

बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के बारे में अहम टिप्पणी की। 

मनरेगा की फंडिंग पर रोक

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में पश्चिम बंगाल में मनरेगा की फंडिग पर रोक लगा दी थी। इस दौरान केंद्र सरकार ने इस योजना को लागू करने में फैली अनियमितताओं का हवाला देते हुए यह रोक लगाई थी। इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 63 मनरेगा साइट्स की जांच के आधार पर यह फैसला लिया था। केंद्र सरकार ने इस जांच के आधार पर कहा था कि 63 में से 31 जगहों पर योजना अनियमितता देखी गई है। 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021-22 के वित्तीय वर्ष के दौरान मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को 7,507.80 करोड़ की राशि दी गई थी लेकिन इसके बाद से तीन वर्षों में राज्य को कोई राशि नहीं दी गई है। 

इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने अप्रैल में कहा था कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREG) शिकायत के आधार पर योजना के क्रियान्वयन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की अनुमति नहीं देता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि उचित समय सीमा के भीतर उपचारात्मक उपचार किए जाने चाहिए। 

अदालत ने केंद्र सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा था कि जिन जगहों पर आरोप लगे हैं, उन्हें छोड़कर पूरे पश्चिम बंगाल में योजना क्यों न फिर से शुरू किया जाए। जिन जिलों में मनरेगा के क्रियान्वयन पर अनियमितताएं देखी गईं थी, उनमें बर्धमान, हुगली, माल्दा और दार्जीलिंग क्षेत्र शामिल हैं। 

अन्य राज्यों में भी दर्ज की गई अनियमितताएं

हालांकि, मनरेगा के क्रियान्वयन में ऐसी ही अनियमितताएं  अन्य राज्यों में भी देखी गई हैं लेकिन इन राज्यों में फंड पर रोक नहीं लगाई गई है। इस संबंध में मार्च में लोकसभा में स्थायी समिति द्वारा रिपोर्ट पेश की गई थी जिसमें कहा गया था कि पश्चिम बंगाल को मनरेगा की राशि निलंबित किए जाने पर गंभीर परिणाम झेलने पड़ रहे हैं। इससे राज्य में पलायन में वृद्धि और ग्रामीण विकास पहलों में भी बाधा हो रही है। 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनयम एक मांग आधारित योजना है जो हर वित्तीय वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अकुशल लोगों को 100 दिनों के काम की गारंटी देता है। पश्चिम बंगाल में इस योजना में करीब 3 करोड़ 40 लाख पंजीकृत लोग हैं। इस योजना का 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।