कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष की सिंगल बेंच ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस घोष ने गुरुवार को कहा कि आरजी कर अस्पताल की घटना में फैसले को चुनौती देने वाले दो मामलों की सुनवाई पहले से ही खंडपीठ में चल रही है, इसलिए इस मामले की भी सुनवाई वहीं होनी चाहिए। 

जस्टिस तीर्थंकर घोष की पीठ ने कहा, "चूंकि सीबीआई और दोषी संजय रॉय ने पहले ही हाईकोर्ट में एक नई अपील दायर कर दी है, जिसकी सुनवाई डिवीजन बेंच में चल रही है, इसलिए इस मामले की सुनवाई सिंगल बेंच के बजाय डिवीजन बेंच में ही होनी चाहिए।"

कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर किया था मामला

पीड़ित परिवार ने आरजी कर मामले की सीबीआई जांच में खामियों का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में मामला दायर किया था। यह याचिका पिछले साल दिसंबर में दाखिल की गई थी। यह मामला जस्टिस घोष की बेंच में लंबित था।

बुधवार को जस्टिस घोष ने मृतक महिला डॉक्टर के परिवार के वकील को निर्देश दिया था कि वे परिवार से राय लेकर अदालत को अवगत कराएं। गुरुवार को वकील ने कोर्ट को बताया कि चूंकि मामला पहले से जस्टिस देबांग्शु बसाक की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लंबित है, इसलिए उन्हें याचिका की सुनवाई वहां होने पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद न्यायमूर्ति घोष ने याचिका को छोड़ने की घोषणा की।

जस्टिस ने क्या कहा?

उन्होंने यह भी बताया कि पीड़ित परिवार की ओर से दायर नई याचिका के सभी दस्तावेज चीफ जस्टिस को भेजे जा रहे हैं, ताकि इसे उचित पीठ को भेजा जा सके।

गौरतलब है कि 9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल से पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर का शव बरामद हुआ था। मामला सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में आक्रोश देखा गया था। देशभर के डॉक्टरों से लेकर आम नागरिकों और महिला संगठनों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। इस मामले में सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को अदालत ने दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)