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नई दिल्लीः दिल्ली सरकार की विवादास्पद शराब नीति में 2,026 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का खुलासा हुआ है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में नीति के क्रियान्वयन में गंभीर खामियां और नियमों के उल्लंघन को उजागर किया गया है। लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ियों और बड़े स्तर पर अनियमितताओं के भी आरोप हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति से आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं को कथित तौर पर "किकबैक" के जरिए फायदा हुआ। साथ ही, विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने नजरअंदाज कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया कि नीति से जुड़े कई फैसले कैबिनेट की मंजूरी और उपराज्यपाल की स्वीकृति के बिना लिए गए। नई नीति के नियमों को दिल्ली विधानसभा के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया, जो आधिकारिक प्रक्रिया का उल्लंघन था।
नीति को लागू करने के लिए कैबिनेट और उपराज्यपाल की नहीं ली गई मंजूरी
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, चार साल पहले लागू की गई इस नीति ने अपने घोषित उद्देश्यों को हासिल करने में नाकाम रही। नवंबर 2021 में लागू की गई शराब नीति का उद्देश्य राजधानी में शराब खुदरा व्यापार को सुधारना और राजस्व को अधिकतम करना था। हालांकि, इस नीति में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच शुरू की। इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह सहित कई शीर्ष आप नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
कैसे हुआ राजस्व नुकसान?
कैग ने अपनी रिपोर्ट में नीति के कार्यान्वयन में कई आर्थिक खामियों को रेखांकित किया है:
लाइसेंस सरेंडर का नुकसान: कई रिटेलर्स ने अपनी लाइसेंस अवधि समाप्त होने से पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिए। इन लाइसेंसों को फिर से टेंडर नहीं किया गया, जिससे 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जोनल लाइसेंसधारियों को छूट: जोनल लाइसेंसधारियों को दी गई छूट के कारण 941 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व नुकसान हुआ।
लाइसेंस फीस माफी: कोविड प्रतिबंधों का हवाला देते हुए लाइसेंसधारियों को 144 करोड़ रुपये की फीस माफ कर दी गई, जबकि टेंडर दस्तावेजों में स्पष्ट था कि वाणिज्यिक जोखिम केवल लाइसेंसधारियों के ऊपर होगा।
रिपोर्ट ने यह भी बताया कि गुणवत्ता नियंत्रण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, जैसे प्रयोगशालाएं और बैच परीक्षण सुविधाएं, नीति के हिस्से के बावजूद कभी स्थापित नहीं की गईं।
आप पार्टी ने भाजपा पर साधा निशाना
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कैग रिपोर्ट के दावों पर सवाल उठाते हुए भाजपा पर निशाना साधा। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि क्या यह रिपोर्ट भाजपा के ऑफिस से दायर की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह रिपोर्ट अभी दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं की गई है।
उन्होंने कहा, "यह कैग रिपोर्ट कहां है? ये दावे कहां से आ रहे हैं? क्या यह रिपोर्ट भाजपा के ऑफिस में फाइल की गई है? भाजपा नेता मानसिक संतुलन खो चुके हैं। कैग रिपोर्ट अभी तक पेश नहीं हुई है, और वे ऐसे झूठे दावे कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पर लगाए जा रहे ये आरोप राजनीतिक हैं और रिपोर्ट को बिना किसी ठोस आधार के मीडिया में लीक किया गया है।