नई दिल्ली: दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा को लेकर बुनियादी ढांचे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में पिछले छह वर्षों में गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन, लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट को आज दिल्ली विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। दिल्ली में सत्ता बदलने के बाद कैग की ये सभी रिपोर्ट सामने आ रही हैं, जिन्हें कई महीनों से दबा कर रखने का आरोप पूर्व की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर लगता रहा है।
बहरहाल, अस्पतालों पर कैग की इस रिपोर्ट में चिकित्सा उपकरणों, स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी, मोहल्ला क्लीनिकों में खराब बुनियादी ढांचे, आपातकालीन निधि के कम इस्तेमाल जैसी कमियों की ओर इशारा किया गया है। कई मोहल्ला क्लीनिकों में पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग जैसे बुनियादी मेडिकल उपकरण भी मौजूद नहीं हैं।
कैग की रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है?
- महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध नहीं: रिपोर्ट से पता चलता कि दिल्ली के कई अस्पताल महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। शहर के 27 अस्पतालों में से 14 में आईसीयू सुविधाओं का अभाव है, जबकि 16 में ब्लड बैंक नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, आठ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है, और 15 अस्पतालों में शवगृह नहीं है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि 12 अस्पताल बिना एम्बुलेंस सेवाओं के चल रहे हैं।
- मोहल्ला क्लीनिक और आयुष औषधालयों में खराब बुनियादी ढांचा: कई मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय, पावर बैकअप और चेक-अप टेबल जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। इसी तरह की कमियां आयुष औषधालयों में भी सामने आई हैं।
- स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी: दिल्ली के अस्पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है। नर्सों की संख्या में 21 प्रतिशत कमी, पैरामेडिक्स की 38 प्रतिशत कमी और कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की 50-96 प्रतिशत तक कमी है।
- बुनियादी ढांचे का उपयोग न होना: राजीव गांधी और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू बेड और निजी कमरे इस्तेमाल में नहीं रहते हैं। ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन देखभाल के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।
- कोविड आपातकालीन निधि का कम इस्तेमाल: कोविड-19 रिस्पॉन्स के लिए आवंटित 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आवंटित कुल 30.52 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जबकि आवश्यक दवाओं और पीपीई किटों के लिए आवंटित 83.14 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हुए।
- अस्पताल की बिस्तर क्षमता: 32,000 नए अस्पताल बिस्तरों का वादा किया गया था, जबकि केवल 1,357 (4.24 प्रतिशत) नए बिस्तर जोड़े गए। कुछ अस्पतालों में 101 से 189 प्रतिशत तक अधिक भीड़ रही और कम बेड की वजह से मरीजों को फर्श पर लेटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- अस्पताल परियोजनाएं में विलंब और लागत में वृद्धि: कई प्रमुख अस्पताल के परियोजनाओं में 3-6 साल की देरी हुई, जिसमें 382.52 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि हुई। इसके चलते इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और एमए डेंटल पीएच-2 जैसे अस्पतालों पर काफी असर पड़ा।
- सर्जरी के लिए लंबा इंतजार: लोक नायक अस्पताल में मरीजों को सामान्य सर्जरी के लिए 2-3 महीने और जलने, प्लास्टिक सर्जरी आदि के लिए 6 से 8 महीने तक इंतजार करना पड़ता है। सीएनबीसी अस्पताल में बाल चिकित्सा सर्जरी के लिए 12-12 महीने तक प्रतीक्षा लोगों को करनी पड़ती है।
- कम स्टाफ की वजह कई क्लीनिक बंद रहे: रिपोर्ट बताती है कि जिन क्लीनिक का मुल्यांकन किया गया, उनमें 18 प्रतिश 15 दिन से लेकर 23 महीने तक बंद रहे। इसकी एक मुख्य वजह डॉक्टरों की अनुपलब्धता, इस्तीफे आदि रहे।
सूत्रों के अनुसार, यह सीएजी की दूसरी रिपोर्ट होगी जो विधानसभा में पेश की जाएगी। इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी पर CAG रिपोर्ट पेश की थी।