कैबिनेट ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को दी मंजूरी, पिछड़े 100 जिलों में खेती को मिलेगा बढ़ावा

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य उन जिलों में कृषि को बढ़ावा देना है जहाँ फसल उत्पादकता कम है, सिंचाई की सुविधा कमजोर है और कृषि ऋण तक पहुँच सीमित है। इस योजना के तहत बेहतर बीज, खाद और टिकाऊ कृषि तकनीकों से उत्पादकता बढ़ाई जाएगी।

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Photograph: (X/PIB)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM-DDKY) को मंजूरी दे दी है। यह योजना देश के उन 100 जिलों में लागू की जाएगी, जहाँ कृषि उत्पादन, सिंचाई और कृषि ऋण वितरण की स्थिति चिंताजनक रूप से कमजोर पाई गई है। योजना का उद्देश्य इन जिलों में कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और किसानों की आय में टिकाऊ बढ़ोतरी सुनिश्चित करना है।

यह योजना वर्तमान वित्तीय वर्ष (2025-26) से शुरू होकर छह वर्षों तक चलेगी। हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिला इसमें शामिल किया जाएगा। जिलों का चयन नेट क्रॉप एरिया (कृषि योग्य भूमि) और कृषक संख्या जैसे मापदंडों के आधार पर किया गया है।

क्या है PM-DDKY योजना?

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य उन जिलों में कृषि को बढ़ावा देना है जहाँ फसल उत्पादकता कम है, सिंचाई की सुविधा कमजोर है और कृषि ऋण तक पहुँच सीमित है। इस योजना के तहत बेहतर बीज, खाद और टिकाऊ कृषि तकनीकों से उत्पादकता बढ़ाई जाएगी। साथ ही, मूल्यवान और जलवायु-स्थिर फसलों की ओर फसल विविधिकरण को बढ़ावा मिलेगा।

सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ जल उपयोग की दक्षता बढ़ाई जाएगी। लघु और दीर्घकालीन कृषि ऋण की पहुँच को आसान बनाया जाएगा और फसल के बाद भंडारण की सुविधाएं पंचायत और ब्लॉक स्तर तक विस्तार दी जाएंगी।

योजना को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत कर लागू करेगी, साथ ही राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र की भी साझेदारी सुनिश्चित की जाएगी।

कैसे चलेगी योजना?

हर जिले में एक स्थानीय समिति बनाई जाएगी जिसे धन-धान्य समिति कहा जाएगा। इसमें किसान और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। ये समितियाँ स्थानीय कृषि योजनाएं तैयार करेंगी जिन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। योजना की निगरानी के लिए 117 संकेतकों का उपयोग करते हुए मासिक प्रगति रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें फसल उत्पादन, जल उपयोग, ऋण वितरण, फसल विविधता आदि को मापा जाएगा। नीति आयोग इस योजना को मार्गदर्शन देगा और केंद्र सरकार के नोडल अधिकारी ज़मीनी समीक्षा करेंगे।

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