कैबिनेट ने चंद्रयान-4 और शुक्र ऑर्बिटर मिशन को दी मंजूरी, क्या है इसका उद्देश्य? (फोटोः IANS)
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नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए बुधवार को दो महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी दी। इनमें चंद्रयान-4 मिशन और वर्ष 2028 तक शुक्र ग्रह पर भेजे जाने वाले शुक्र ऑर्बिटर मिशन (VOM) शामिल हैं। इन दोनों मिशनों का उद्देश्य न केवल अंतरिक्ष की नई जानकारियाँ हासिल करना है, बल्कि देश की तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करना भी है।
चंद्रयान-4 मिशन क्या है?
चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद पृथ्वी पर वापस लौटने की तकनीक विकसित करना और उसे साबित करना है। इस मिशन के तहत चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित किए जाएंगे और उनका पृथ्वी पर विश्लेषण किया जाएगा। यह मिशन भारत के चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन की नींव रखेगा, जिसे 2040 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
चंद्रयान-4 का कितना है बजट?
चंद्रयान-4 के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इसमें अंतरिक्षयान के विकास और इसे लॉन्च करने वाली LVM3 रॉकेट की दो उड़ानों का खर्च, अंतरिक्ष में गहरे तक संचार नेटवर्क के लिए समर्थन, और विशेष परीक्षण शामिल हैं। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर उतरने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटने की तकनीक को साबित करना है, जो भारत के भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
शुक्र ऑर्बिटर मिशन: शुक्र ग्रह की गहराईयों का अध्ययन
वहीं, शुक्र ऑर्बिटर मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह के वातावरण, सतह और वहां की सूर्य की गतिविधियों का अध्ययन करना है। इस मिशन के तहत शुक्र ग्रह के चारों ओर एक वैज्ञानिक अंतरिक्षयान को स्थापित किया जाएगा, जिससे शुक्र की विशेषताओं का गहन अध्ययन किया जा सकेगा। इस मिशन के लिए कुल 1,236 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, जिसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्षयान के विकास पर खर्च होंगे।
शुक्र, पृथ्वी का निकटतम ग्रह है और इसे पृथ्वी के समान माना जाता है, इसलिए इस ग्रह का अध्ययन हमारे ग्रह की उत्पत्ति और विकास को समझने में भी मदद कर सकता है। इस मिशन के तहत शुक्र ग्रह की सतह और उसके वायुमंडल के साथ-साथ सूर्य की गतिविधियों का गहन अध्ययन किया जाएगा।
तकनीकी क्षमताओं का विकास और रोजगार
चंद्रयान-4 और शुक्र ऑर्बिटर मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जिम्मेदार होगा। इन मिशनों से न केवल भारत की अंतरिक्ष तकनीकों को और मजबूती मिलेगी, बल्कि इसमें उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण होगी। इन परियोजनाओं के कारण कई रोजगार अवसर भी उत्पन्न होंगे और अन्य क्षेत्रों में तकनीकी विकास के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी।
भारत का अंतरिक्ष विजन: अमृतकाल की तैयारी
सरकार ने अमृतकाल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार का एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय मानव मिशन शामिल है। इसके लिए गगनयान और चंद्रयान श्रृंखला के कई और मिशन योजनाबद्ध हैं।
चंद्रयान-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और ऊंचाइयों तक ले जाएगा और देश को चंद्रमा पर मानव मिशन की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाएगा। वहीं, शुक्र ऑर्बिटर मिशन से हमें ग्रहों के विकास और उनके बीच की समानताओं और असमानताओं को समझने का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।