बलरामपुरः अवैध धर्मांतरण रैकेट के सरगना छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन पर प्रशासन का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। शनिवार को जिला प्रशासन ने छांगुर के भतीजे सबरोज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रेहरा माफी गांव में स्थित उसके घर पर बुलडोजर चलवाया। यह निर्माण सरकारी (ग्राम समाज) जमीन पर अवैध रूप से किया गया था।
कार्रवाई से पहले प्रशासन ने सबरोज को नोटिस जारी किया था, लेकिन तय समयसीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इसके बाद सीओ राघवेंद्र प्रताप के नेतृत्व में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। प्रशासन का यह कदम सिर्फ अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक बड़े संगठित धर्मांतरण गिरोह के खिलाफ सिस्टमेटिक क्रैकडाउन का हिस्सा है।
छांगुर गिरोह का दायरा देशभर में फैला
पुलिस और एटीएस की जांच में सामने आया है कि जलालुद्दीन उर्फ छांगुर वित्तीय प्रलोभन, विवाह के प्रस्तावों और मानसिक दबाव के जरिये कमजोर तबकों को इस्लाम कबूल करवाता था। छांगुर के खिलाफ 50,000 रुपये का इनाम घोषित था और उस पर गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। 5 जुलाई को उसे बलरामपुर के माधपुर गांव से उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ गिरफ्तार किया गया।
दोनों पर अवैध धर्मांतरण, गैरकानूनी फंडिंग और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के गंभीर आरोप हैं। बताया गया है कि इस गिरोह के तार दुबई, सऊदी अरब और तुर्की तक जुड़े हैं। गौरतलब बात है कि हाल ही में आगरा में दो लापता बहनों के मामले की जांच के दौरान पुलिस ने एक ऐसे मल्टी-स्टेट नेटवर्क का पर्दाफाश किया था, जो छह राज्यों में सक्रिय था और जिसका मास्टरमाइंड जलालुद्दीन था।
बलरामपुर पुलिस और एटीएस की जाँच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि गिरोह ने अवैध फंडिंग से संपत्तियां खरीदी थीं, जिन पर अब प्रशासन बुलडोजर चला रहा है।
एक एकड़ में फैली कोठी, दो बिस्वा सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण
छांगुर की आलीशान कोठी करीब एक एकड़ में फैली थी, जिसमें दो बिस्वा सरकारी जमीन पर भी अतिक्रमण कर निर्माण किया गया था। इसके अलावा, गिरोह के एक और सदस्य रऊफ पर पॉक्सो, एससी/एसटी एक्ट और धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रशासन ने रऊफ के घर को भी अवैध निर्माण घोषित कर बुलडोजर चलाया है।
छांगुर और उसके गिरोह के खिलाफ की जा रही ये कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस नीति के तहत हो रही है, जिसके तहत संगठित अपराधियों की अवैध कमाई से अर्जित संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है, ताकि उन्हें आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर किया जा सके।