भारत-बांग्लादेश सीमा पर मधुमक्खियों के और छत्ते और औषधीय पौधे लगाएगी बीएसफ, जानें कारण और मॉडल

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BSF will plant more beehives on India-Bangladesh border instructions to plant medicinal plants also What is this model

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी और अन्य अपराध को रोकने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' के तहत 'बीहाइव्स ऑन द फेंस' परियोजना को शुरू किया गया है।

इसके तहत सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते और बागवानी की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य सीमा पर तस्करी रोकना और आसपास के गांवों में बसे लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है।

इसके लिए आयुष विभाग की भी मदद ली गई है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि सीमा पर इस तरह से बागवानी करने से परागण में मदद मिलेगी और मधुमक्खियों के लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार होगा।

इस सीमा विस्तार को 'आरोग्य पथ' का नाम दिया गया है, जिसे 'स्वस्थ सड़क'भी कहा जा सकता है। पौधों के पास क्यूआर कोड भी लगाए गए हैं जिसे स्कैन करने पर उनकी जानकारी मिल सकती है।

अन्य सीमाओं पर भी लगाए जाएंगे मधुमक्खियों के छत्ते

जिस तरीके से पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में मधुमक्खियों के छत्ते लगाए गए हैं और शुरुआती स्टेज में इस परियोजना के सफल होने की खबर सामने आई है, उसे देखते हुए सभी केंद्रीय अर्धसैनिक और संबद्ध बलों को यह निर्देश दिया गया है कि वे भी अन्य सीमाओं पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाएं।

इस संबंध में अप्रैल के महीने में इस पर बैठक हुई है जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने की है।

40 मधुमक्खियों के लगाए गए हैं बक्से

परियोजना को सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के नादिया के कादीपुर गांव में जोर-शोर से चलाया जा रहा है। यहां के निवासी फलदार और सुगंधित औषधीय पौधे लगा रहे हैं और गड्ढे खोदकर बाड़ को तैयार कर रहे हैं।

यही नहीं केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) की मदद से यहां पर 40 मधुमक्खियों के बक्से लगाए गए हैं। जानकारों का कहना है कि सीमा पर तस्करी को रोकने में ये मधुमक्खियों के छत्ते काफी उपयोगी होते हैं।

परियोजना को विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों से भी मदद मिल रही है। यहां पर तुलसी, एकांगी, सतमुली, अश्वगंधा और एलोवेरा जैसे पौधों लगाए जा रहे हैं। यही नहीं एनएमपीबी और आयुष मंत्रालय की ओर से इस क्षेत्र में लगभग 60 हजार पौधों को भेजा जा रहा है।

हालांकि इस परियोजना को काफी पहले लॉन्च किया गया था और इसके जरिए सीमावर्ती इलाकों में और भी मधुमक्खियों के छत्ते को लगाने की योजना है। यही नहीं कई और किस्म के औषधीय पौधे को भी लगाने के निर्देश दिए गए है।

हर साल 20 लाख से भी ज्यादा होती है मवेशियों की तस्करी

बीएसएफ की 32वीं बटालियन के सीओ सुजीत कुमार ने कहा है इसके जरिए सीमा पर रह रहे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का उद्देश्य है। बीएसएफ के इस पहले को आयुष मंत्रालय और स्थानीय मधुमक्खी पालन विशेषज्ञों से भी समर्थन मिल रहा है। इन मधुमक्खियों के छत्तों से निकलने वाले शहद को बीएसएफ की स्थापित दुकानों में बिक्री की जाएगी।

बता दें कि भारत-बांग्लादेश सीमा लगभग 4,096 किलोमीटर लंबी है। इसमें पश्चिम बंगाल का हिस्सा लगभग 2,217 किलोमीटर लंबा है। अधिकारियों और पूर्व तस्करों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हर साल करीब 20 लाख से भी अधिक भारतीय मवेशियों की बांग्लादेश में तस्करी की जाती है और यह आंकड़ा दिन पर दिन और भी बढ़ते जा रहा है।

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