नई दिल्ली: सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नए प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 के मसौदे को वापस ले लिया है। इस नए ब्रॉडकास्ट बिल को लेकर केंद्र सरकार निशाने पर थी आलोचनाएं शुरू हो गई थी। ऐसे आरोप लगने लगे थे कि सरकार ऑनलाइन कंटेन्ट पर और अधिक नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने मंत्रालय ने नए बिल के मसौदे कुछ स्टेकहोल्डर्स के साथ साझा किए थे और उनकी टिप्पणी मांगी थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और दो उद्योग अधिकारियों सहित कम से कम तीन स्रोतों ने पुष्टि की है कि मंत्रालय ने अब स्टेकहोल्डर्स से मसौदा विधेयक वापस करने के लिए कहा है। सूत्रों ने कहा कि हितधारकों को मंत्रालय से मसौदा विधेयक की अपनी प्रतियां वापस करने के लिए फोन आया।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने क्या कहा?
बिल को वापस लेने की खबरें मीडिया में सोमवार शाम से सूत्रों के हवाले से आने लगी थी। हालांकि, पुष्टि नहीं हुई थी। इस बीच सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने रात 9.36 बजे एक्स पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि वह ब्रॉडकास्ट सर्विसेस (रेगुलेशन) बिल के ड्राफ्ट पर काम कर रहा है।
मंत्रालय की ओर से ट्वीट किया गया, ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक मसौदा पर काम कर रहा है। मसौदा विधेयक को हितधारकों और आम जनता की टिप्पणियों के लिए 10.11.2023 को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया था। जवाब में विभिन्न संघों सहित अनेक सिफारिशें/टिप्पणियां/सुझाव प्राप्त हुए। मंत्रालय विधेयक के मसौदे पर हितधारकों के साथ सिलसिलेवार विचार-विमर्श कर रहा है। इस पर 15 अक्टूबर, 2024 तक टिप्पणियाँ/सुझाव मांगने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया जा रहा है। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद एक नया मसौदा प्रकाशित किया जाएगा।’
The Ministry of Information & Broadcasting is working on a Draft Broadcasting Services (Regulation) Bill.
The draft Bill was placed in public domain on 10.11.2023 along with the explanatory notes for comments of the stakeholders and the general public. https://t.co/3A4brxbfLC…
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) August 12, 2024
हालांकि, मंत्रालय ने अपने इस बयान में उस नए मसौदा विधेयक का उल्लेख नहीं किया जिसके लीक होने से रोकने के लिए वॉटरमार्क फॉर्मेट में पिछले महीने कुछ हितधारकों के साथ साझा किया गया था। साथ ही इसका भी उल्लेख नहीं किया गया कि क्या उनसे इन प्रतियों को वापस करने के लिए कहा गया है।
नए ब्रॉडकास्ट बिल पर विवाद की वजह क्या है?
नया विधेयक अगर आता है तो ये 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक टेलीविजन प्रसारण से संबंधित है। पिछले साल नवंबर में मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट बिल पर राय मांगी थी। इसमें प्रसारण क्षेत्र सहित ओटीटी कंटेन्ट और डिजिटल न्यूज और करेंट अफेयर्स के लिए भी कानूनी ढांचे की बात कही गई थी। इसमें ‘डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर’ को परिभाषित करते हुए स्वतंत्र कटेन्ट क्रिएटर्स के लिए भी कुछ शर्ते और सरकार के साथ पंजीकृत करने के प्रस्ताव थे।
ऐसे आरोप लग रहे थे कि इस बिल के जरिए सरकार डिजिटल या OTT प्लेटफॉर्म सहित यूट्यूब, X (ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर भी प्रसारित होने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करना चाहती है। ये बात भी सामने आई थी कि ड्राफ्ट में डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बॉडी ‘ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ बनाने का प्रस्ताव था।
साथ ही इसमें डिजिटल कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए कॉन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी (निगरानी समिति) बनाने का प्रावधान था। विपक्ष और कुछ कन्टेन्ट क्रिएटर्स इसे फ्री-स्पीच पर खतरे के तौर पर पेश कर रहे थे।