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रियो डी जेनेरियो: दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले 11 सदस्यीय ब्रिक्स (BRICS) ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा ब्रिक्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में व्यापक सुधार का भी समर्थन किया है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से उठी यह सभी बातें भारत के लिए बेहद अहम है।
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पहले दिन रविवार की कार्यवाही के बाद अपनाए गए 'रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र' में किसी भी आतंकी कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए उसे 'आपराधिक' और 'अनुचित' बताया गया, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, जब भी, जहां भी और जिसके द्वारा भी किया गया हो।
रियो घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में लिखा है, 'हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।'
ईरान पर हमले की भी निंदा
शिखर सम्मेलन से निकली एक और अहम बात ये भी रही कि भारत ने 13 जून से ईरान ( इजराइल का नाम नहीं) पर शुरू हुए हमलों की निंदा में ब्रिक्स का साथ दिया। इसके अलावा गाजा पर लगातार इजराइली हमलों, मानवीय सहायता में बाधा और युद्ध के तरीके के रूप में भुखमरी के इस्तेमाल के साथ 'कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र' की स्थिति के बारे में भी गंभीर चिंता व्यक्त की।
रियो घोषणापत्र के अनुसार ब्रिक्स देशों ने एकतरफा टैरिफ के बढ़ने जैसी स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि ये व्यापार को प्रभावित करते हैं और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुकूल नहीं हैं। यह एक तरह से सीधे तौर पर ट्रंप प्रशासन को संदेश था, हालांकि घोषणापत्र में अमेरिका का नाम नहीं रखा गया क्योंकि कुछ सदस्य इस बात से सहज नहीं थे। घोषणापत्र में यह भी कहा गया कि एकतरफा दबावपूर्ण उपाय लागू करना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और एकतरफा आर्थिक प्रतिबंधों जैसे उपायों के दूरगामी नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में क्या कहा?
घोषणापत्र के जारी होने से पहले ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति और सुरक्षा पर कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सिर्फ एक आदर्श नहीं है, यह हम सभी के साझा हितों और भविष्य की बुनियाद है। एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण में ही मानवता का विकास संभव है। इस उद्देश्य को पूरा करने में ब्रिक्स की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें एकजुट होकर सामूहिक प्रयास करने होंगे और मिलकर आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बनकर खड़ा है। हाल ही में भारत ने एक अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकी हमले का सामना किया। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारत की आत्मा, अस्मिता और गरिमा पर सीधा प्रहार था। यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, पूरी मानवता पर आघात था।
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद की निंदा हमारा 'सिद्धांत' होना चाहिए, सिर्फ 'सुविधा' नहीं। अगर पहले यह देखेंगे कि हमला किस देश में हुआ, किसके विरुद्ध हुआ तो यह मानवता के खिलाफ विश्वासघात होगा।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर कोई संकोच नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के पीड़ित और समर्थक को एक ही तराजू पर नहीं तौल सकते। निजी या राजनीतिक स्वार्थ के लिए आतंकवाद को मूक सम्मति देना, आतंक या आतंकियों का साथ देना, किसी भी अवस्था में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। आतंकवाद को लेकर कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। अगर हम यह नहीं कर सकते तो यह प्रश्न स्वाभाविक है कि क्या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर हम गंभीर हैं भी या नहीं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया से लेकर यूरोप तक आज विश्व विवादों और तनावों से घिरा हुआ है। गाजा में जो मानवीय स्थिति है, वह बड़ी चिंता का कारण है। भारत का अडिग विश्वास है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, मानवता की भलाई के लिए शांति का पथ ही एकमात्र विकल्प है।
(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)