प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बलात्कार के आरोपी को यह कहते हुए जमानत दी है कि असफल प्रेम संबंधों के बाद आपराधिक कानूनों का दुरुपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने 9 अप्रैल को एक 42 वर्षीय व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसे एक महिला ने बलात्कार का आरोपी बनाया था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने अपने आदेश में कहा, "अब अक्सर देखने में आ रहा है कि निजी मतभेदों और भावनात्मक विफलताओं को आपराधिक रूप देकर दंडात्मक कानूनों का सहारा लिया जा रहा है, विशेषकर तब जब कोई घनिष्ठ संबंध टूट जाता है।"
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यह मामला किसी आपराधिक कृत्य से अधिक भावनात्मक प्रतिक्रिया का परिणाम प्रतीत होता है। अदालत ने कहा, "हर नैतिक या सामाजिक रूप से अनुचित आचरण को कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। यह न्यायशास्त्र का मूल सिद्धांत है कि कानून हर नैतिकता को लागू नहीं करता।"
पीड़िता ने क्या आरोप लगाए?
पीड़िता द्वारा दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए, उसका वीडियो रिकॉर्ड किया और ब्लैकमेल किया। साथ ही, आरोप लगाया कि वह पहले तीन बार शादी कर चुका है और महिलाओं को झांसा देने का आदी है।
महिला का कहना था कि आरोपी एक धनाढ्य व्यक्ति है, जिसने अपने प्रभाव और पैसे का दुरुपयोग कर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। वहीं, आरोपी के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि महिला को आरोपी के विवाहित होने की जानकारी थी और इसके बावजूद वह उसके साथ संबंध में थी। उन्होंने यह भी इनकार किया कि आरोपी ने तीन बार शादी की थी। हाईकोर्ट ने यह पाया कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से बना था और महिला को आरोपी के वैवाहिक इतिहास की जानकारी थी।
हाईकोर्ट की हालिया टिप्पणियाँ विवादों में
इलाहाबाद हाईकोर्ट हाल के महीनों में बलात्कार और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में दिए गए कुछ फैसलों को लेकर विवादों में रहा है। मार्च में कोर्ट ने एक छात्रा से बलात्कार के आरोपी को यह कहते हुए जमानत दी थी कि "महिला ने खुद मुसीबत को आमंत्रित किया।" इसके अलावा, एक अन्य मामले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि "नाबालिग की छाती पकड़ना और पायजामे की डोरी खोलना बलात्कार या उसकी कोशिश नहीं मानी जा सकती।" इन टिप्पणियों पर देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई और सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी है।