नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को इस बात की पुष्टि की कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया था। सीएम योगी ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे। इससे भारत को रक्षा सुविधाओं में बढ़ावा मिलेगा। 

सीएम योगी ने उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि आपने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की झलक देखी होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि नहीं देखी तो इसकी क्षमता के बारे में पाकिस्तान के लोगों से पूछिए। 

ऐसे में इस मिसाइल के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे। 

ब्रह्मोस एक लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे उच्च सटीकता के लिए जाना जाता है। यह 'फायर एंड फॉरगेट सिद्धांत' पर काम करती है। ये ऐसी मिसाइलें होती हैं जो एक बार दागे जाने के बाद से अपने लक्ष्य का मार्गदर्शन करने में सक्षम होती हैं। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए यह कई तरह की उड़ानें भरने में सक्षम होती है। इसकी गतिज ऊर्जा अधिक होने के कारण इसकी विनाशकारी शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है। 

इसे रूस के सहयोग के साथ विकसित किया गया है। यह एक मानवरहित मिसाइल है जो पेलोड, मार्गदर्शन प्रणाली आदि से सुसज्जित होती है। 

क्या हैं इसकी क्षमताएं?

अलग-अलग मिसाइलों के रूप में इसकी क्षमता 450 किमी से लेकर 800 किमी तक हो सकती है। यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है जिसकी क्षमता 2.8 से 3.0 मैक है यानी यह ध्वनि की गति से तीन गुना तेजी से टागरेट तक पहुंचती है। 

इसे वायु, थल समुद्र या फिर सबमरीन कहीं से भी लांच किया जा सकता है। जो इसे और खूब बनाती हैं। इसके साथ ही उन्नत मार्गदर्शन एवं सटीकता के लिए भी यह मिसाइल जानी जाती हैं। यह 200 से 300 किलो वजन तक वारहेड को ले जाने में सक्षम है।  

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल सबसोनिक मिसाइल से तीन गुना अधिक वेग से काम करती हैं। इनकी तुलना में 2.5 से तीन गुना अधिक रेंज में लड़ने की क्षमता होती है। सबसोनिक मिसाइल की तुलना में इनकी गतिज ऊर्जा नौ गुना अधिक होती है। 

ब्रह्मोस पहली सुपरसोनिक मिसाइल है जो सेवा में है। इसे गुणों के आधार पर तीनों सेनाओं के साथ स्थापित किया गया है। 2007 में भारतीय सेना ने इसे की ब्रह्मोसरेजिमेंट्स में शामिल किया है। वहीं, भारतीय वायुसेना ने सुखोई 30-एमकेआई अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान से लैस ब्रह्मोस एयर लांच क्रूज मिसाइल प्रणाली को सफलता पूर्वक शामिल किया है।

क्या है इसकी कीमत?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इसे आज के मूल्य के हिसाब से 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 21 अरब से अधिक रुपयों में बनाया गया है। इसका नाम ब्रह्मोस भारत की ब्रह्मापुत्र और रूस की मोस्कोवा नदी के नाम पर रखा गया है। 

इसे बनाने के लिए साल 1998 में रूस ने 50.5 प्रतिशत और रूस ने 49.5 प्रतिशत का योगदान दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रह्मोस की प्रोडक्शन यूनिट बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आता है जबकि बाजार मूल्य के हिसाब से एक मिसाइल की कीमत करीब 300 करोड़ रुपये है।