कोका-कोला को मिलावटी सॉफ्ट ड्रिंक बेचने के 23 साल पुराने मामले में राहत नहीं, हाई कोर्ट का केस रद्द करने से इनकार

हिंदुस्तान कोका-कोला ने आपराधिक कार्यवाही पर आठ सप्ताह की अंतरिम राहत की मांग की, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।

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The Bombay High Court’s Aurangabad bench recently rejected Hindustan Coca-Cola Beverages Pvt Ltd's plea to quash criminal proceedings over allegations of selling adulterated 'Canada Dry' soft drink units in 2001.

'कनाडा ड्राई' सॉफ्ट ड्रिंक मिलावटी मामला: बॉम्बे HC ने कोका-कोला की याचिका खारिज की, कार्रवाई जारी रखने का दिया आदेश (फोटो- IANS)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने बुधवार को हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में 2001 के एक आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग की गई थी।

कंपनी पर आरोप है कि उसने 'कनाडा ड्राई' नामक सॉफ्ट ड्रिंक का मिलावटी बैच बेचा था। मामला फिलहाल जालना के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में है।

बार एंड बेंच की खबर के अनुसार, जून 2001 में हिंदुस्तान कोका-कोला ने 'कनाडा ड्राई' के कई बैच तैयार किए। 26 जुलाई 2001 को, खाद्य निरीक्षक एम.डी. शाह ने औरंगाबाद के ब्रूटन मार्केटिंग में जांच के दौरान उत्पाद की सीलबंद बोतलों में बाहरी रेशेदार और कण पदार्थ पाया।

इस पर छह बोतलों के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए। 28 अगस्त 2001 को सार्वजनिक विश्लेषक ने पुष्टि की कि पेय पदार्थ में मिलावट थी। खबर के मुताबिक, खाद्य निरीक्षक ने मिलावटी स्टॉक को नष्ट करने की अनुमति मांगी, जो 27 जून 2002 को अदालत के निर्देश पर नष्ट किया गया।

इसके बाद 15 मार्च 2003 को खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कंपनी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी और 13 मई 2003 को शिकायत दर्ज की गई। कंपनी ने तर्क दिया कि शिकायत दर्ज करने में हुई 16 महीने की देरी के कारण वह अपने कानूनी अधिकार, यानी मिलावटी नमूने के पुनः परीक्षण का लाभ नहीं उठा सकी।

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने क्या कहा

न्यायमूर्ति वाई.जी. खोबरागड़े की एकल पीठ ने कंपनी की दलील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि अगर आरोपी ने नमूने को केंद्रीय प्रयोगशाला में पुनः परीक्षण के लिए भेजने का आवेदन नहीं किया, तो वह यह दावा नहीं कर सकता कि उसे अपने अधिकार से वंचित किया गया।

अदालत ने यह भी पाया कि हिंदुस्तान कोका-कोला और अन्य अभियुक्तों के पास नमूनों के पुनः परीक्षण का पर्याप्त समय था, लेकिन उन्होंने यह विकल्प नहीं चुना। इसके आधार पर, अदालत ने माना कि कंपनी का मामला कानूनन कमजोर है।

हिंदुस्तान कोका-कोला के अंतरिम राहत की मांग अदालत ने खारिज की

हिंदुस्तान कोका-कोला ने आपराधिक कार्यवाही पर आठ सप्ताह की अंतरिम राहत की मांग की, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि लगभग 14 वर्षों से रुकी हुई कार्यवाही को अब और विलंबित नहीं किया जा सकता।

यह मामला भारतीय खाद्य सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की गंभीरता को दर्शाता है। अदालत ने कंपनी के तर्कों को यह कहते हुए खारिज किया कि समय पर पुनः परीक्षण न कराने की जिम्मेदारी खुद अभियुक्तों की थी। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि खाद्य सुरक्षा मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य है।

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