अमित शाह के आंबेडकर वाले बयान पर छिड़े विवाद के बाद भाजपा ने विपक्ष को 'बेनकाब' करने की बनाई योजना

भाजपा ने अपनी एससी/एसटी मोर्चा को निर्देश दिया है कि वे सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक अभियान चलाकर दलित समुदाय को एकजुट करें और केंद्र और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की पिछली सरकारों द्वारा उठाए गए दलित विरोधी कदमों को उजागर करें।

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अमित शाह के आंबेडकर वाले बयान पर छिड़े विवाद के बाद भाजपा ने विपक्ष को 'बेनकाब' करने की बनाई योजना

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाबासाहब आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर विपक्षी पार्टियों की आक्रामक प्रतिक्रिया के बाद भाजपा ने नई रणनीति तैयार की है।  कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को दलितों से जुड़े मुद्दों पर "बेनकाब" करने के लिए भाजपा एक काउंटर-कैंपेन शुरू करने जा रही है।

भाजपा ने एससी/एसटी मोर्चे को दिया निर्देश

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने अपनी एससी/एसटी मोर्चा को निर्देश दिया है कि वे सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक अभियान चलाकर दलित समुदाय को एकजुट करें और केंद्र और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की पिछली सरकारों द्वारा उठाए गए दलित विरोधी कदमों को उजागर करें।

उत्तर प्रदेश भाजपा एससी/एसटी मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कन्नौजिया ने कहा, "हम इस अभियान को जमीनी स्तर पर शुरू करेंगे, ताकि विपक्ष की सच्चाई को जनता के सामने लाया जा सके। हम उन कदमों को उजागर करेंगे, जो पिछली सरकारों ने दलितों के खिलाफ उठाए थे।" कन्नौजिया ने यह भी कहा कि इस अभियान की शुरुआत इस महीने के अंत में होने वाले संगठनात्मक चुनावों के बाद की जाएगी।

दलित बहुल गांवों में चलाया जाएगा जन जागरूकता अभियान

कन्नौजिया ने भाजपा सरकार के पिछले दस वर्षों के कार्यों को प्रमुखता से उजागर करने के लिए दलित बहुल गांवों में जन जागरूकता अभियान चलाने का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस और सपा ने हमेशा दलितों के खिलाफ काम किया है, यह एक ऐतिहासिक सत्य है जिसे लोगों के बीच बताया जाना चाहिए।"

कन्नौजिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और समाजिक रूप से दबे वर्गों की भलाई के लिए और कदम उठाने की अपील की। कन्नौजिया ने यह भी कहा कि भाजपा की सरकार ने पिछले दस वर्षों में दलितों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो कांग्रेस और सपा के शासनकाल में नहीं उठाए गए थे।

'भाजपा के अलावा आंबेडकर के लिए किसी पार्टी ने नहीं किया इतना काम'

विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा राज्य उपचुनावों में मिली जीत के बाद अपनी रणनीति में सतर्कता बरत रही है। भाजपा को यह जीत विपक्ष के पीडीए फार्मूले का मुकाबला करने में मदद मिली है, जिसने राज्य में जातिवादी नारों को उकसाया।

कन्नौजिया ने कहा, "विपक्ष ने फिर से आंबेडकर के नाम पर दलितों और अन्य सामाजिक रूप से दबे वर्गों को हिंदू समाज से अलग करने की कोशिश शुरू कर दी है। कोई भी पार्टी भाजपा के अलावा आंबेडकर की इज्जत और उनके योगदान के लिए इतना काम नहीं कर पाई है।"

कांग्रेस और सपा पर आंबेडकर के खिलाफ काम करने का आरोप

कन्नौजिया ने कांग्रेस पर आंबेडकर के विचारों के खिलाफ काम करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान किया और उनके द्वारा बनाए गए संविधान के मूल तत्वों को बदलने की कोशिश की।" इसके अलावा, कन्नौजिया ने सपा पर भी आरोप लगाया कि उसने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए आरक्षण का प्रावधान समाप्त कर दिया, जो बसपा शासनकाल में लागू किया गया था। हालांकि, भाजपा ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया था, क्योंकि ऊँची जाति और ओबीसी वर्ग की प्रतिक्रिया का डर था, जिन्होंने इस प्रावधान का विरोध किया था।

अमित शाह का बयान जिसपर मचा है विवाद

अमित शाह ने संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह आंबेडकर का नाम लेती है लेकिन काम उसके उलट करती है। अमित शाह ने कहा था, आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बन गया है। अगर उन्होंने इतनी बार भगवान का नाम लिया होता, तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती।” अमित शाह ने कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब चाहे आंबेडकर का नाम सौ बार ज्यादा लो लेकिन साथ में आम्बेडकर के प्रति आपका भाव क्या है, ये मैं बताता हूं।

अमित शाह ने कहा, आंबेडकर देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया। आम्बेडकर ने कई बार कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ हुए व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूं। सरकार की विदेश नीति और आर्टिकल 370 से मैं असहमत हूं। उनको आश्वासन दिया गया। आश्वासन पूरा नहीं होने पर इस्तीफा दे दिया।

अमित शाह के राज्यसभा में दिए इस बयान की क्लीप अगले दिन एक्स पर शेयर करते हुए कांग्रेस ने केंद्रीय गृहमंत्री पर बाबासाहब का अपमान करने का आरोप लगाया और उनसे माफी और इस्तीफे की मांग की। शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन इसी विवाद के साथ खत्म हो गया।

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