नई दिल्लीः भारत की संसदीय समिति ने फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा को तलब करने का फैसला लिया है। संसदीय समिति ने यह कदम मेटा के मालिक मार्क जुकरबर्ग के लोकसभा चुनाव 2024 पर दिए बयान को लेकर उठाया है।  जुकरबर्ग ने हाल ही में कहा था कि 2024 के चुनावों में भारत समेत कई देशों की मौजूदा सरकारें कोविड के बाद हार गईं।

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संसदीय समिति के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने मंगलवार को कहा कि उनकी समिति मेटा (Meta) को तलब करेगी। निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मेरी समिति मेटा को इस गलत जानकारी के लिए तलब करेगी। गलत जानकारी किसी भी लोकतांत्रिक देश की छवि को खराब करती है।" उन्होंने आगे कहा, "इस गलती के लिए मेटा को भारतीय संसद और देश की जनता से माफी मांगनी होगी।"

मार्क जुकरबर्ग ने क्या कहा था?

जुकरबर्ग ने जो रोगन के पॉडकास्ट में कहा था कि कोविड के बाद लोगों का सरकारों पर भरोसा टूट गया, जिससे 2024 में चुनावों में मौजूदा सरकारों को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, "यह केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। मुझे लगता है कि कोविड के बाद दुनियाभर में सरकारों पर विश्वास में गिरावट आई। 2024 कई देशों में चुनाव का साल था, जिसमें भारत भी शामिल है। इन चुनावों में अधिकांश मौजूदा सरकारें हार गईं। मेटा के सीईओ ने आगे कहा था कि यह एक वैश्विक घटना है। कोविड के दौरान सरकारों की नीतियों, महंगाई और आर्थिक फैसलों के कारण लोगों का भरोसा कम हुआ।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जुकरबर्ग के दावे को बताया भ्रामक

जुकरबर्ग के इस दावे को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैक्ट चेक किया और उनके बयान को खारिज करते हुए "भ्रामक दावा" करार दिया। उन्होंने जुकरबर्ग के बयान को निराशाजनक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र किया।

अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर लिखा, "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत ने 2024 के चुनावों में 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। लोगों ने एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपना भरोसा दोबारा जताया।"

मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के कोविड प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा, "80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन, 2.2 अरब मुफ्त टीके और वैश्विक स्तर पर सहायता प्रदान करना, ये सब दिखाता है कि महामारी के दौरान भारत ने कितनी कुशलता से काम किया। पीएम मोदी की निर्णायक जीत उनकी अच्छी शासन प्रणाली और जनता के विश्वास का प्रमाण है।"

उन्होंने आगे लिखा, "यह निराशाजनक है कि खुद जुकरबर्ग जैसे व्यक्ति से गलत जानकारी फैलाई जा रही है। मेटा को सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने की आवश्यकता है।"