नई दिल्ली: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के एक बड़े तबके की यह धारणा थी कि भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने पर उनकी जीत पक्की है। लेकिन चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद स्थिति साफ हो गई है। दूसरे दलों से भाजपा में शामिल होने वाले 25 नेताओं में से 20 की इस चुनाव में हार हुई है।
पिछले 10 सालों में दूसरे दलों से आने वाले लगभग एक चौथाई (435 में से 106) उम्मीदवारों ने भाजपा ज्वाइन की है। इन 106 में से 90 ऐसे उम्मीदवार हैं जो पिछले पांच सालों के अंदर भाजपा में शामिल हुए हैं।
केवल दूसरे दलों से भाजपा में आने वाले नेताओं का यह हाल नहीं हुआ है बल्कि भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं का भी यही हाल हुआ है। भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले छह में से पांच नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है।
हालांकि कुछ सीटों पर कांग्रेस या फिर अन्य दलों से भाजपा में आने वाले नेताओं को जीत मिली है, उसी तरीके से भाजपा से आने वाले कुछ नेताओं को भी जीत हासिल हुई है। लेकिन इस तरह से जीत हासिल करने वाले नेताओं की संख्या काफी कम है।
पंजाब में भाजपा के कई नेता हारे
कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले पंजाब के कई नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पंजाब की पटियाला सीट से मैदान में उतरी थीं लेकिन वे हार गई है। उनके पति अमरिंदर सिंह ने जब कांग्रेस को छोड़ा था और भाजपा में शामिल हुए थे तब कौर भी बीजेपी ज्वाइन कर ली थी।
लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू भी कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। वे पंजाब के लुधियाना से चुनाव लड़ रहे थे, जहां उन्हें हार मिली है।
आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने वाले सुशील कुमार रिंकू को भी जालंधर सीट से हार का सामना करना पड़ा है।
हरियाणा और राजस्थान में कैसा रहा प्रदर्शन
यहां पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस से भाजपा में आने वाले अशोक तंवर और रणजीत सिंह चौटाला को हार मिली है।
अशोक तंवर सिरसा से चुनाव लड़ रहे थे जबकि रणजीत सिंह हिसार से चुनाव मैदान में थे। पंजाब और हरियाणा की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेताओं की हार हुई है।
भाजपा में शामिल होने वाले महेंद्रजीत सिंह मालवीय राजस्थान के बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे थे, जबकि और डॉ. ज्योति मिर्धा नागौर सीट से चुनाव मैदान में थे। इन सीटों पर इन दोनों नेताओं की हार हुई है।
पश्चिम बंगाल और यूपी में मिला है हार
केवल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को हार नहीं मिली है, बल्कि तृणमूल कांग्रेस से भी भाजपा ज्वाइन करने वाले नेता ये चुनाव जीत नहीं पाए हैं। तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तापस रॉय कोलकाता उत्तर सीट से हार गए हैं।
यही नहीं 2019 लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले अर्जुन सिंह भी बैरकपुर सीट से हार गए हैं।
इसी तरीके से कांग्रेस से भाजपा में आने वाले सुरेश बोरा असम के नगांव से और सी रघुनाथ ने भी केरल की कन्नूर सीट से चुनाव लड़ा था। इन दोनों नेताओं को भी हार मिली है। यूपी में बसपा से भाजपा के टिकट पर अंबेडकरनगर सीट से चुनाव लड़ने वाले रितेश पांडेय भी जीत नहीं पाए हैं।
तेलंगाना, झारखंड और आंध्र में भी यही रहा है हाल
तेलंगाना में भाजपा को कई सीटें जीतने की उम्मीद थी और इस कारण केसीआर की पार्टी के कई नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया था। लेकिन इस चुनाव में उन सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
इस चुनाव में बीबी पाटिल जहीराबाद सीट से हारे तो भारत प्रसाद पोथुगंती नागरकुरनुल सीट से जीत नहीं पाए हैं। ए सीताराम नाईक महबूबाबाद से हार गए तो साईदी रेड्डी नलगोंडा सीट से जीतने में नाकामयाब रहे हैं। अरूरी रमेश भी वारंगल सीट से हार गए हैं।
कांग्रेस से भाजपा में आने वाले इन नेताओं की मिली जीत
कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में शामिल होने वाले नवीन जिंदल को हरियाणा के कुरुक्षेत्र से जीत हासिल हुई है तो जितिन प्रसाद यूपी की पीलीभीत सीट को जीता है। चिंतामणि महाराज जो छत्तीसगढ़ की सरगुजा से चुनाव लड़ रहे थे, उन्हें भी इस चुनाव में जीत हासिल हुई है।
यही नहीं बीआरएस से आए गोडम नागेश की तेलंगाना की आदिलाबाद सीट से और बीजद से भाजपा में आए भर्तृहरि महताब ओडिशा को कटक सीट से जीत हासिल हुई है।
भाजपा से आए राहुल कस्वां को मिली जीत
कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल होकर चुनाव लड़ने वाले दानिश अली यूपी की अमरोहा सीट से हार हुई है। वहीं भाजपा से कांग्रेस में आए प्रह्लाद गुंजाल राजस्थान की कोटा से चुनाव हार गए हैं।
बीआरएस से आने वाले जी रंजीत रेड्डी तेलंगाना की चेवल्ला सीट, सुनीता महेंद्र रेड्डी की तेलंगाना की मल्काजगिरि सीट और दानम नागेंद्र तेलंगाना की सिकंदराबाद सीट से हार हुई है। वहीं भाजपा से कांग्रेस में आने वाले राहुल कस्वां की राजस्थान के चुरु से जीत हुई है।