प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव। फोटोः IANS
पटनाः बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद जारी किए गए मसौदे (draft) को लेकर राजनीतिक हंगामा तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के उस दावे पर बवाल मच गया, जिसमें उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से उनका नाम गायब है। इस दावे को लेकर चुनाव आयोग (ECI) और भाजपा ने तुरंत उनका खंडन किया है।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव ने अपना इलेक्शन फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर दिखाया और उसे चुनाव आयोग के आधिकारिक मोबाइल एप्लिकेशन में दर्ज किया, जिसमें "कोई रिकॉर्ड नहीं मिला" का एरर आया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मेरा नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं है, तो मैं चुनाव कैसे लड़ पाऊंगा?
तेजस्वी के दावे का चुनाव आयोग और भाजपा ने किया खंडन
इसके तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की एक प्रति जारी कर उनके दावे का खंडन किया। आयोग ने पुष्टि की कि उनका नाम पटना के वेटनरी कॉलेज स्थित एक बूथ पर दर्ज है। हालांकि, आयोग द्वारा जारी किया गया EPIC नंबर, तेजस्वी द्वारा दिखाए गए नंबर से अलग था।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी तेजस्वी के दावे को फर्जी और भ्रामक बताते हुए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मतदाता सूची का एक स्क्रीनशॉट साझा किया। उन्होंने बताया कि तेजस्वी यादव का नाम क्रमांक 416 पर दर्ज है।
अमित मालवीय ने एक्स पोस्ट में लिखा, "फर्जी खबर की खुली पोल। तेजस्वी यादव का यह दावा कि विशेष संवीक्षा (विशेष गहन पुनरीक्षण) के बाद उनका नाम मतदाता सूची से गायब है- पूरी तरह गलत है। उनका नाम क्रमांक 416 पर दर्ज है। कृपया तथ्य जांचें, फिर जानकारी साझा करें। जानबूझकर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिशों को बेनकाब करना जरूरी है।"
अमित मालवीय द्वारा जारी स्क्रीनशॉट में मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम मतदान केंद्र संख्या 204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, क्रम संख्या 416 पर अंकित है। इससे पहले, उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केन्द्र संख्या 171, क्रम संख्या 481 पर दर्ज था।
65 लाख नामों को हटाने पर तेजस्वी का हमला
तेजस्वी यादव ने एसआईआर प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह एक "विशिष्ट उद्देश्य से किया गया काम" और लोकतंत्र को खत्म करने की एक साजिश है।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने बिना नोटिस दिए 8.5% मतदाताओं (लगभग 65 लाख) के नाम हटा दिए और उन्हें अपील करने का मौका भी नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को जो सूची दी गई है, उसमें मतदाता का पता और बूथ संख्या नहीं है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल है कि किसके नाम हटाए गए हैं। तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर "तानाशाही रवैया" अपनाने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि "बिहार कमजोर नहीं है, सबका हिसाब होगा।"
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर "वोट चोरी" का आरोप लगाया और दावा किया कि उनके पास इसके "पुख्ता सबूत" हैं।
राहुल गांधी ने 'वार्षिक लीगल कॉन्क्लेव' में अपने संबोधन के दौरान चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर फिर सवाल खड़ किए। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के पास "यह साबित करने के लिए पक्के सबूत" हैं कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब एक स्वतंत्र संस्था नहीं रह गई है।
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने 6 महीने तक एक जांच अभियान चलाया, जिसमें 6.5 लाख मतदाताओं की तस्वीरों का मिलान करने पर 1.5 लाख फर्जी नाम पाए गए। उन्होंने इसे "राजद्रोह" बताते हुए कहा कि इसमें शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
राहुल गांधी के आरोपों पर भाजपा के राज्यसभा सांसद भीम सिंह चंद्रवंशी ने "दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय" बताया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करना जनता के विश्वास को कमजोर करता है, जो राष्ट्र-विरोधी है। उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को साफ करना है और यदि किसी को आपत्ति है, तो उसके लिए दावा-आपत्ति दर्ज कराने के लिए एक महीने का समय है।