बिहार SIR विवाद: चुनाव आयोग ने SC में दिया हलफनामा, कहा- 'बिना सूचना किसी का नाम नहीं हटाया जाएगा'

चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होगी और हर योग्य मतदाता का नाम सूची में शामिल करने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

supreme court refuses to pause bihar voter rolls asked election commission to think about aadhar and ration

Photograph: (बोले भारत डेस्क)

नई दिल्ली: आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने कोर्ट को आश्वस्त किया है कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर दिए और सक्षम अधिकारी के तर्कपूर्ण आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।

आयोग ने यह भी कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होगी और हर योग्य मतदाता का नाम सूची में शामिल करने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

क्या है पूरा विवाद?

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण की इस प्रक्रिया में लाखों योग्य मतदाताओं को बाहर किया जा सकता है, खासकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लोगों को। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा द्वारा 'वोट की चोरी' करार दिया। एडीआर ने अपने आरोप में दावा किया था कि बिहार में 65 लाख मतदाताओं को गलत तरीके से सूची से बाहर कर दिया गया है। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों पर चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। अब इस मामले पर 12 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में क्या कहा?

आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची जारी की गई है। यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर नाम और फॉर्म एकत्र करने के बाद पूरा हुआ। 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपने नाम की पुष्टि की या फॉर्म जमा किए। इस अभियान में 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट शामिल रहे।

आयोग ने बताया कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि तय की गई है। इसके लिए प्रिंट और डिजिटल दोनों स्वरूपों में सूची राजनीतिक दलों को दी गई है और आम जनता के लिए ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन दिए गए, शहरी क्षेत्रों में विशेष कैंप लगाए गए, और युवा मतदाताओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की गई। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कमजोर वर्गों की मदद के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए गए।

आयोग ने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रोजाना प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है और विस्तृत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें SMS, बैठकों और बीएलओ के बार-बार दौरे शामिल हैं। आयोग का कहना है कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया एक नियमित और आवश्यक अभ्यास है, जिसका उद्देश्य मृत, डुप्लीकेट या स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम सूची से हटाकर सूची की शुद्धता बनाए रखना है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article