बिहार मतदाता सूची में 'बड़ी गड़बड़ी', तीन विधानसभा क्षेत्रों में 80,000 से अधिक वोटर फर्जी पतों पर दर्ज: रिपोर्ट

रविवार को जारी हुई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अगस्त को चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा सूची में 3,590 से अधिक मामले ऐसे पाए गए, जहाँ एक ही पते पर बड़ी संख्या में मतदाताओं को पंजीकृत कर दिया गया है।

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Photograph: (IANS)

पटनाः अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के समूह 'द रिपोर्टर्स कलेक्टिव' द्वारा किए गए एक गहन जांच में बिहार की मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के तीन विधानसभा क्षेत्रों- पिपरा, बगहा और मोतिहारी में 80,000 से अधिक मतदाता फर्जी या गलत पतों पर पंजीकृत पाए गए हैं। चुनाव आयोग (ईसीआई) ने हाल ही में इन क्षेत्रों में 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (एसआईआर) प्रक्रिया पूरी की थी।

रविवार को जारी हुई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अगस्त को चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा सूची में 3,590 से अधिक मामले ऐसे पाए गए, जहाँ एक ही पते पर बड़ी संख्या में मतदाताओं को पंजीकृत कर दिया गया है। इनमें से कई मामले ऐसे हैं जहाँ सैकड़ों लोगों को एक ही घर के नंबर के नीचे दर्ज किया गया है, जबकि कई मामलों में घर का नंबर मौजूद ही नहीं है।

जांच में 80,000 'संदिग्ध' वोटर मिले

जांच में सामने आया कि पिपरा विधानसभा क्षेत्र के गालिंपुर गाँव में दो बूथों पर क्रमशः 459 और 509 मतदाताओं को एक ही घर नंबर (39 और 4) के तहत पंजीकृत किया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी लोग अलग-अलग जातियों और समुदायों से हैं। जांचकर्ताओं से एक मतदाता ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "यह कैसे संभव है कि मांझी-मुसहर जाति और ब्राह्मण-बनिया जाति के लोग एक साथ रह रहे हों? यह उन लोगों की शरारत है जो नाम और नंबर भरते हैं।"

रिपोर्ट के अनुसार, बगहा में नौ घरों में 100 से अधिक मतदाता एक ही पते पर पाए गए, जिसमें से एक घर में 248 लोग पंजीकृत थे। वहीं, मोतिहारी में तीन घरों में 100 से अधिक मतदाता गैर-मौजूद पतों पर दर्ज थे, जहाँ सबसे बड़े घर में 294 मतदाता एक साथ रहते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार के चंपारण क्षेत्र के इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में लगभग दस लाख पंजीकृत मतदाता हैं, जिसका मतलब है कि कुल मतदाताओं का लगभग 8% संदिग्ध पतों पर पंजीकृत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा 'साफ-सुथरी' मतदाता सूची बनाने की यह कवायद एक 'बड़ी गलती' साबित हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) ने घर-घर जाकर सत्यापन नहीं किया। एक बीएलओ ने बताया कि उन्हें तय समय सीमा में काम पूरा करने के लिए रात भर जागकर दस्तावेज अपलोड करने पड़े, क्योंकि वेबसाइट दिन में काम नहीं करती थी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में अधिकारियों ने केवल आधार कार्ड या फोटो लिए और बाकी फॉर्म खुद ही भर दिए।

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब विपक्षी दल बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ अपना विरोध तेज कर रहे हैं और इस मुद्दे पर संसद में बहस की मांग कर रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव सहित इंडिया गुट के कई सदस्यों ने इस प्रक्रिया के विरोध में बिहार के सासाराम से 16 दिवसीय 'वोट अधिकार यात्रा' शुरू की है। राहुल गांधी ने पहले भी बेंगलुरु में एक ऐसे मामले का उदाहरण दिया था, जहाँ एक ही कमरे वाले घर में 80 लोग पंजीकृत पाए गए थे।

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