बिहार के मोकामा में गैंगवार, अनंत सिंह ने घटना के बाद क्या बताया...पुलिस क्या कह रही है?

अनंत सिंह अभी पांच महीने पहले ही जेल से रिहा हुए थे। उन्हें 14 अगस्त 2024 को पटना हाईकोर्ट ने एके-47 और बुलेटप्रूफ जैकेट मामले में बरी किया था।

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Patna: Jailed RJD MLA Anant Kumar Singh talks to the media outside the Bihar Assembly during the ongoing winter session, in Patna on Nov 25, 2020. (Photo: IANS)

अनंत सिंह (फाइल फोटो- IANS)

मोकामा: बिहार के मोकामा के नौरंगा जलालपुर गांव में बुधवार को पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात अपराधी सोनू-मोनू गैंग के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। इस घटना में अनंत सिंह की जान बाल-बाल बच गई। शुरुआती जानकारी के अनुसार दोनों ओर से कई राउंड फायरिंग की गई।

वहीं, पुलिस ने बाद में बताया कि जांच के बाद केवल तीन राउंड गोलियां चलने के सबूत मिले हैं। इस घटनाक्रम के बाद इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घटना के बाद अनंत सिंह ने पत्रकारों से बताया कि उनके एक सहयोगी को गर्दन में गोली लगी है और इलाज चल रहा है।

अनंत सिहं और सोनू-मोनू गैंग के बीच क्यों हुई गोलीबारी?

बताया जा रहा है कि सोनू-मोनू गैंग के एक सदस्य ने गांव के ही एक परिवार को बुरी तरह पीटा और घर से बाहर कर दिया। साथ ही घर में ताला जड़ दिया था। इस घटना की सूचना पाकर अनंत सिंह अपने कई लोगों के साथ पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे। इसके बाद वो सोनू-मोनू के घर पहुंच गए थे। इसी दौरान फायरिंग शुरू हुई।

गोलीबारी के बाद सोनू-मोनू ग्रुप के सदस्य मौके से फरार हो गए हैं। इसके अलावा एक पीड़ित परिवार ने इस घटना को लेकर पुलिस में आवेदन दिया है और पुलिस अब आरोपियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने में जुटी हुई है। घटना के बाद से नौरंगा गांव में पुलिस का भारी पहरा है और कई थानों की पुलिस तैनात है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच काफी पहले से ही रिश्ते तनाव भरे रहे हैं। हालांकि, पिछले दो सालों में और खासकर अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद दोनों के बीच रिश्तों में सुधार भी हुआ था।

कौन है सोनू-मोनू और अनंत सिंह ने क्या कहा ?

सोनू मोनू दरअसल सगे भाई हैं। दोनों मोकामा के ही जलालपुर गांव के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि दोनों भाईयों ने 2009 में अपराध की दुनिया में कदम रखा। लूटपाट सहित धमकी, रंगदारी जैसे कई आरोप इनके खिलाफ लगते हैं। बताया जाता है कि इन पर करीब एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं। साथ ही इनका ईंट भट्ठा भी है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इनका संबंध मुख्तार अंसारी गिरोह से भी रहा है। ये भी दावा किया जा रहा है कि दोनों ने शुरुआत में अनंत सिंह की सरपरस्ती में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा और फिर धीरे-धीरे इनका प्रभाव बढ़ने लगा।

दूसरी ओर पूरी घटना पर अनंत सिंह ने भी अपनी बात पत्रकारों के सामने रखी है। उन्होंने बताया कि नौरंगा गांव के कुछ लोग उनके पास आए थे और आरोप लगाया कि सोनू-मोनू ने उन्हें उनके घरों से बाहर निकाल कर घरों पर ताला लगा दिया है।

अनंत सिंह के अनुसार इस पर उन्होंने उन लोगों को पुलिस के पास जाने को कहा। कुछ घंटों बाद भी जब पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे गांव में पहुंचे और ताला खुलवाया। इसके बाद उन्होंने अपने दो लोगों को सोनू-मोनू से बात करने के लिए भेजा। इसी दौरान दूसरे गैंग की ओर से गोलीबारी शुरू हो गई।

अनंत सिंह पर हमला, पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस के अनुसार इस गोलीबारी में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पुलिस ने घटनास्थल से तीन खोखे बरामद किए हैं। पटना के एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और जल्द ही पटना ग्रामीण एसपी इस पर पूरी जानकारी देंगे।

वहीं, बाढ़ डीएसपी राकेश कुमार ने बताया कि गोलीबारी की सूचना थाना अध्यक्ष तुरंत मौके पर पहुंचे थे। जिनके घर पर गोली चली है, उनके द्वारा एक आवेदन भी दिया गया है। हम लोग इसमें शामिल सभी लोगों को चिन्हित कर रहे हैं और आवेदन के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

राकेश कुमार ने आगे कहा कि यहां के लोगों के अनुसार पूर्व विधायक (अनंत सिंह) अपने समर्थकों के साथ आए थे। कहा जा रहा है कि पूर्व विधायक और उनके समर्थकों ने गोली चलवाई। इस संबंध में हम साक्ष्य इकट्ठा कर रहे हैं, और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। गोली चलाने वालों को हम पहचान रहे हैं और जिनकी भी संलिप्तता मिलेगी, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अनंत सिंह का राजनीति में सफर और विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव 2005 में जदयू के टिकट पर मोकामा से पहली बार विधायक बनकर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद, 2010 में भी वह जदयू के टिकट पर मोकामा से फिर से जीत दर्ज करने में सफल रहे।

अनंत सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच अच्छे रिश्ते भी रहे। लेकिन, 2015 में अचानक दोनों के रिश्ते बिगड़ गए और अनंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

2015 में उनके पटना स्थित सरकारी मकान में छापेमारी के दौरान कई प्रतिबंधित सामग्रियां बरामद हुई थीं, जिसके बाद उनका नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में आया। इसके बावजूद, 2015 के चुनाव में अनंत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

इसके बाद 2020 में भी उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, जबकि वह जेल में बंद थे। फिर भी जीत दर्ज की और मोकामा पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखी।

हालांकि, 2022 में अनंत सिंह को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद, उनकी पत्नी ने राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अनंत सिंह का राजनीतिक सफर विवादों और जेल की सजा से जुड़ा रहा है। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप भी हैं।

अनंत सिंह अभी पांच महीने पहले ही जेल से रिहा हुए थे। उन्हें 14 अगस्त 2024 को पटना हाईकोर्ट ने एके-47 और बुलेटप्रूफ जैकेट मामले में बरी किया था। इसके बाद वह 16 अगस्त 2024 को जेल से बाहर आए थे।

(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)

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