बिहार में 11 दिनों के भीतर पाँच पुल-पुलिया गिरे, 2 सालों में ऐसे 9 हुए हादसे, सवालों के घेरे में सरकार

पुल गिरने की घटनाओं के बीच सरकार पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। हालांकि सरकार पुल के टूटने या धराशायी होने की घटना की जांच कराने की बात जरूर कर रही है।

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View of Dharashai bridge in Siwan district on June 22. Photo: IANS

22 जून को सीवान जिले में धाराशाई पुल का दृश्य। फोटोः IANS

पटनाः बिहार में पुल-पुलिया गिरने या क्षतिग्रस्त होने का सिलसिला जारी है। बिहार के किशनगंज जिले में बुधवार को एक पुल का हिस्सा ढह गया। पिछले 11 दिनों के अंदर पांच पुल गिर चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि 13 साल पुराना यह पुल बांसबाड़ी श्रवण चौक के पास मारिया नदी की सहायक नदी पर बना था। 70 मीटर लंबा यह पुल भारी बारिश के कारण ढह गया।

अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। पुल ढहने के कुछ पलों का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में देखा जा सकता है कि पुल का बीच का हिस्सा गिर रहा है और लगभग तेज बहती नदी को छू रहा है। राज्य ग्रामीण कार्य विभाग ने 2011 में इस पुल का निर्माण कराया था।

सवालों के घेरे में बिहार सरकार

पुल गिरने की घटनाओं के बीच सरकार पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। हालांकि सरकार पुल के टूटने या धराशायी होने की घटना की जांच कराने की बात जरूर कर रही है।  पुल-पुलियों के गिरने की घटना के बाद सचेत हुई सरकार अब पुल की कमजोरी को जानने और नए पुल मजबूत बने, इसके लिए सभी ग्रामीण पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने जा रही है। मकसद यह है कि सरकारी राशि का सदुपयोग हो और जानमाल की सुरक्षा भी की जा सके।

पुल-पुलियों के रखरखाव को लेकर कोई नीति नहीं

ऐसा नहीं कि बिहार में पुल धराशायी या टूटने की घटना इसी सरकार में हो रही है। प्रदेश में सरकार महागठबंधन की रही हो या एनडीए की, पुल गिरते रहे हैं और विपक्ष सरकार पर सवाल उठाता रहा है। बताया जाता है कि बिहार में पुल-पुलियों के रखरखाव को लेकर कोई नीति नहीं है, जिस कारण पुराने पुलों की मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है और बन रहे पुल-पुलियों में निर्माण सामग्री में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता है।

पुल-पुलियों की कराई जाएगी ऑडिट 

हालांकि सरकार अब इस मामले को लेकर सचेत दिख रही है। ग्रामीण कार्य विभाग ने अब पुल-पुलियों की ऑडिट करवाने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर विभागीय अभियंताओं और अधिकारियों की तैनाती होगी। विभागीय ऐप के माध्यम से हर दिन ऑडिट से जुटाई गई जानकारी मुख्यालय भेजी जाएगी। इस आधार पर मुख्यालय स्तर से मॉनिटरिंग होगी।

सभी आंकड़े इकट्ठा होने के बाद इसकी दोबारा जांच की भी व्यवस्था की जायेगी। जुटाई गई तमाम जानकारियों के आधार पर पुल का ग्रेड तैयार होगा और इसके बाद पुल के मरम्मत या पूरी तरह से पुनर्निर्माण पर विचार किया जाएगा।

गौरतलब है कि 23 जून को पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन ब्लॉक क्षेत्र में एक निर्माणाधीन छोटा पुल ढह गया था। उस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसी तरह, 22 जून को सीवान जिले में एक छोटा पुल ढह गया। वहीं, 18 जून को अररिया के सिकटी प्रखंड के बकरा नदी पर उद्घाटन के लिए तैयार 12 करोड़ की लागत वाला पुल अचानक भरभराकर गिर गया। इस मामले को लेकर पथ निर्माण विभाग ने तत्काल कई इंजीनियरों को निलंबित कर दिया और एक जांच दल का गठन कर जांच की जिम्मेदारी दे दी।

दो सालों के भीतर बिहार में 9 छोटे-बड़े पुल ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हुए

पुल-पुलिया गिरने को लेकर प्रदेश में राजनीति भी खूब होती रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दो सालों में प्रदेश में 9 छोटे-बड़े पुल ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हुए हैं। पिछले 11 दिनों में सीवान, अररिया, पूर्वी चंपारण, किशनगंज में पुल गिरने के बाद शुक्रवार को मधुबनी के भुतही बलान नदी पर बन रहे एक निर्माणाधीन पुल का गर्डर गिर गया।

--आईएएनएस इनपुट के साथ

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