पटनाः बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ बुधवार को आयोजित ‘बिहार बंद’ आंदोलन के दौरान एक दिलचस्प दृश्य सामने आया। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और पुर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को उस वाहन पर चढ़ने से सुरक्षा कर्मियों ने रोक दिया, जिस पर राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन के अन्य शीर्ष नेता सवार थे।

इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कांग्रेस, राजद, वाम दलों समेत INDIA गठबंधन के नेताओं ने की। कन्हैया और पप्पू यादव, जो पटना के सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन से मार्च में शामिल हुए थे, उन्हें मंच साझा करने का अवसर नहीं मिल सका।

घटना पर पप्पू यादव ने दी प्रतिक्रिया

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पप्पू यादव ने कहा,“मैं गिर गया और मुझे चोट लगी। हर पार्टी की तरफ से सिर्फ एक नेता था, लेकिन ये कोई अपमान नहीं है। जनता से बड़ा कोई नहीं होता। अगर जनता के लिए लाख बार भी अपमान सहना पड़े, तो मंजूर है।”

प्रदर्शन की शुरुआत सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन से हुई, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक को जाम किया और "चुनाव आयोग होश में आओ" जैसे नारे लगाए। इस मौके पर सीपीआई महासचिव डी. राजा, सीपीआई (माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, संजय यादव, और पप्पू यादव भी मौजूद थे।

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने क्या कहा?

‘बिहार बंद’ मार्च के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र की तरह अब बिहार में भी चुनाव चुराने की तैयारी हो रही है। चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहा है, जबकि उसका कर्तव्य संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना है।”

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि, “महाराष्ट्र में सत्ता हथियाने का अलग मॉडल अपनाया गया था और अब बिहार में वोट चुराने के लिए एक नया मॉडल लागू किया जा रहा है। लेकिन हम यह साजिश किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।”

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “क्या अब दो गुजराती तय करेंगे कि कौन बिहारी वोट देगा और कौन नहीं?” भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा, “यह गरीबों, वंचितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है। लेकिन हम इसका डटकर विरोध करेंगे। यह लड़ाई सिर्फ वोट की नहीं, लोकतंत्र की आत्मा को बचाने की है।”

बिहार बंद पर नेताओं ने क्या कहा?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने विपक्षी दलों के प्रदर्शन को खारिज करते हुए कहा, "चुनाव आयोग को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। महागठबंधन द्वारा 'बिहार बंद' के नाम पर आम जनता को परेशान किया गया, जबकि जनता ने इस आह्वान को पूरी तरह नकार दिया है। यह सिर्फ राजद और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बनावटी सक्रियता है।"

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा, "उन्हें बिहार की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ पिकनिक मनाने आए थे। राज्य के विकास में उनका कोई योगदान नहीं है, और अब बिहार की प्रगति उन्हें बेचैन कर रही है।"

एक अन्य बयान में सम्राट चौधरी ने कहा, "ये लोग काम से भागने वाले, राजकुमार किस्म के नेता हैं — एक गांधी परिवार का राजकुमार और दूसरा लालू यादव का। इन्हें न लोकतंत्र पर भरोसा है, न मेहनत पर। जनता अब समीक्षा चाहती है और विपक्षी यह नहीं पचा पा रहे हैं।"

जदयू का तंज- कांग्रेस के लिए बिहार में कोई जमीन नहीं

जेडीयू नेता केसी त्यागी ने राहुल गांधी के नेतृत्व को निशाने पर लेते हुए कहा, "महाराष्ट्र में कांग्रेस जैसी दुर्दशा हुई, बिहार में उससे भी बदतर हालात उनके सामने आने वाले हैं। कांग्रेस अपना जनाधार पूरी तरह खो चुकी है।"

राजद प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव की बेचैनी पर उन्होंने जोड़ा, "महागठबंधन को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। एनडीए एकजुट है और बंपर जीत के लिए तैयार है। नीतीश कुमार पूरी तरह स्वस्थ हैं और नेतृत्व में कोई असमंजस नहीं है।"

'बिहार बंद' जनता की नजर में असफल

बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, "चुनाव आते ही कुछ नेता एक्टिव हो जाते हैं, लेकिन बिहार की जनता अब समझदार हो चुकी है। कांग्रेस अब उंगलियों पर गिने राज्यों तक सीमित रह गई है। बिहार में उनकी मेहनत बेकार जाएगी क्योंकि जनता का रुख तय हो चुका है — वह NDA के साथ है।"

सरकार में मंत्री हरि सहनी ने 'बिहार बंद' को राजनीतिक नौटंकी बताते हुए कहा, "NDA शासन में बिहार को जंगलराज से मंगलराज की ओर ले जाया गया है। चुनाव आयोग की पारदर्शिता के कारण ही निष्पक्ष चुनाव संभव हुआ। जनता इसका सही जवाब चुनाव में देगी।"

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने राहुल गांधी के कदम का समर्थन करते हुए कहा, "राहुल गांधी ने बिल्कुल सही समय पर साहसिक निर्णय लिया है। बिहार में सरकार और आयोग मिलकर मतदाताओं के अधिकारों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। हम इस तानाशाही रवैये के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहेंगे।"

चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर उठे सवाल

इस विरोध की पृष्ठभूमि में चुनाव आयोग का 24 जून को जारी वह आदेश है, जिसमें बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने की घोषणा की गई थी। चुनाव आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के अनुरूप है।

हालांकि, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) जैसे आलोचकों का कहना है कि यह फैसला सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने इस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई गुरुवार को होनी है।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

अफवाहों को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि एसआईआर प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आयोग ने सोशल मीडिया पर अनुच्छेद 326 भी साझा किया, जिसमें बताया गया कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का प्रत्येक भारतीय नागरिक, जब तक वह विधिक रूप से अयोग्य न हो, मतदान का हकदार है।