नई दिल्लीः बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं — करीब 29 लाख मतदाताओं ने अब तक फॉर्म नहीं लौटाए हैं, जबकि 43 लाख से अधिक लोग अपने पते पर नहीं मिले हैं। चुनाव आयोग ने यह विवरण राज्य की 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ साझा किया है और उनसे मतदाताओं से संपर्क साधने की अपील की है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, चुनाव आयोग के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) और बूथ लेवल अधिकारी (BLO) ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
राजनीतिक दलों से संपर्क साधने की अपील
इन बैठकों में उन्हें उन 29.62 लाख मतदाताओं की विस्तृत सूचियां दी गईं जिनके फॉर्म अभी तक नहीं मिले हैं। साथ ही लगभग 43.93 लाख ऐसे मतदाता भी शामिल हैं जो अपने दिए गए पतों पर मौजूद नहीं थे। आयोग ने सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अपने जिला अध्यक्षों और लगभग 1.5 लाख बीएलए के माध्यम से इन शेष मतदाताओं से संपर्क करें।
अब तक, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत, बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.59 करोड़ मतदाताओं (96.23%) को कवर किया जा चुका है। राज्य के कुल मतदाताओं में से 90.67% (यानी 7.16 करोड़) के गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं।
एसआईआर के दौरान बिहार में अपने पते पर नहीं पाए गए 43.92 लाख मतदाताओं का विश्लेषण किया गया है। इसमें सामने आया है कि 16.55 लाख मतदाताओं को मृत बताया गया है, वहीं 19.75 लाख मतदाताओं के स्थायी रूप से स्थानांतरित होने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त, 7.5 लाख मतदाता ऐसे हैं जो कई स्थानों पर नामांकित पाए गए, और 11,484 मतदाताओं का तो पता ही नहीं लगाया जा सका है।
बिहार पहला राज्य जहां हर मतदान केंद्र पर 1,200 से कम मतदाता होंगे
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने यह भी बताया कि बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहाँ के सभी मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1,200 से कम है। उन्होंने कहा कि लंबी कतारों से बचने के लिए बिहार में 12,817 नए मतदान केंद्र जोड़े गए हैं। जिसके बाद राज्य में मतदान केंद्रों की कुल संख्या 77,895 से बढ़कर 90,712 हो जाएगी। बिहार की इस प्रमुख उपलब्धि का अनुसरण अन्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में भी किया जाना है। यह पहल मतदाताओं की सुविधा और मतदान प्रक्रिया को और अधिक सुचारु बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
चुनाव आयोग के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को जारी होने वाली मतदाता सूची के मसौदे में उन व्यक्तियों के नाम शामिल होंगे जिनके गणना प्रपत्र 25 जुलाई तक प्राप्त हो जाएंगे। आयोग के बयान में कहा गया है कि 1 अगस्त से, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (EROs) मसौदा मतदाता सूची में किसी भी प्रकार के नाम जोड़ने, हटाने या सुधारने के लिए जनता से आपत्तियां आमंत्रित करेंगे, जिसके लिए पूरा एक महीना उपलब्ध रहेगा। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को और अधिक त्रुटिहीन और अद्यतन बनाने में मदद करेगी।