पटनाः भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है। इसमें कुल 4.96 करोड़ मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। यह कदम राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में बड़ी सहूलियत देगा, क्योंकि अब करीब 60 प्रतिशत पुराने मतदाताओं को पहचान के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना पड़ेगा।
24 जून 2025 को जारी निर्देशों के अनुसार, यह सूची राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) के माध्यम से बीएलओ को हार्ड कॉपी में सौंपी जाएगी। साथ ही, इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया गया है ताकि आम नागरिक भी इसे डाउनलोड कर सकें और नाम जोड़ने या संशोधन के लिए इसका उपयोग कर सकें।
मतदाता और बूथ लेवल ऑफिसर्स दोनों को होगी सुविधा
इस पहल से मतदाताओं और बूथ लेवल ऑफिसर्स- दोनों को सुविधा होगी। जिन लोगों के नाम 2003 की सूची में हैं, उन्हें केवल विवरण सत्यापित कर फॉर्म भरना होगा। वहीं, जिनके माता-पिता के नाम सूची में मौजूद हैं, उन्हें भी अपने माता-पिता के दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी- सिर्फ स्वयं के दस्तावेज पर्याप्त होंगे।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में सुधार अनिवार्य है। पिछले 75 वर्षों से यह प्रक्रिया वार्षिक रूप से जारी है, क्योंकि मृत्य, प्रवास, विवाह, नौकरी, शिक्षा या उम्र पूरी होने जैसे कारकों के चलते मतदाता सूची में निरंतर बदलाव आवश्यक हो जाते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नागरिक, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं, मतदाता के रूप में पंजीकरण के पात्र होते हैं। यह पहल मतदाता सूची की पारदर्शिता व विश्वसनीयता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है।