गौतम नवलखा को भीमा-कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत, चार साल बाद मिली जमानत

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Gautam Navlakha gets bail after four years in Bhima-Koregaon case

गौतम नवलखा को भीमा-कोरेगांव केस में चार साल बाद मिली जमानत (फोटो- IANS)

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा अभी मुकदमे को अंजाम तक पहुंचने में काफी वक्त लगेगा। गौतम नवलखा चार साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने गौतम नवलखा की जमानत पर लगी बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया। हालांकि, पीठ ने साथ ही नवलखा को नजरबंदी के दौरान सुरक्षा पर हुए खर्च के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश भी दिया।

अभी आरोप तय नहीं, ट्रायल में लगेगा लंबा समय

सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की ओर से दी गई दलील पर गौर किया। नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और इस वजह से ट्रायल में काफी वक्त लगेगा। पिछले साल दिसंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को जमानत दे दी थी। हालांकि, जांच एजेंसी एनआईए की अपील पर हाई कोर्ट ने अपने ही आदेश पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी थी।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर लगे स्टे को अपने आदेश तक जारी रखने का निर्देश दिया था। उन पर माओवादियों के साथ कथित संबंध का आरोप है। वो 14 अप्रैल 2020 से हिरासत में हैं। 73 वर्षीय गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया था।

क्या है भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामला

यह मामला 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम से संबंधित है। भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर यह कार्यक्रम रखा गया था। आरोप हैं कि इसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। मामले में जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि भाषणों के कारण अगले दिन एक जनवरी को पुणे के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा हुई। पुलिस की ओर से दावा किया गया कि कार्यक्रम के आयोजकों का नक्सलियों से संबंध था।

नवलखा और अन्य लोगों को पुणे पुलिस और बाद में एनआईए ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मामले में 16 एक्टिविस्ट को पुलिस ने पकड़ा था। इनमें पांच अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं।

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