नई दिल्ली: कई यूनियनों और कामगारों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। जिसमें 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी केंद्र सरकार की उन नीतियों के विरोध में हड़ताल पर हैं जिन्हें वे 'मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक' बता रहे हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के गठबंधन और संयुक्त किसान मोर्चा जैसे किसान और ग्रामीण मजदूर समूहों द्वारा आयोजित इस हड़ताल से देश भर में कई प्रमुख क्षेत्रों में आज कामकाज के मामले में व्यवधान आ सकता है। बैंकों से लेकर स्कूलों तक, भारत बंद के दिन क्या खुला रहेगा और क्या बंद, आईए जानते हैं।
बैंक और वित्तीय संस्थाएं: हालांकि कोई आधिकारिक अवकाश घोषित नहीं किया गया है, लेकिन अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और हिंद मजदूर सभा जैसी यूनियनों ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक क्षेत्र और सहकारी बैंक बंद रहने की संभावना है। कर्मचारियों के काम पर नहीं आने से बैंक में ग्राहक सहायता और शाखा में लेनदेन जैसी सेवाएं प्रभावित होंगी। एआईबीईए से संबद्ध बंगाल प्रोविंसियल बैंक कर्मचारी संघ ने कहा है कि बीमा क्षेत्र भी हड़ताल में शामिल होगा।
डाकघर और सार्वजनिक परिवहन: डाक सेवाएँ, राज्य परिवहन बसें और कोयला खनन कार्य प्रभावित होने की संभावना है। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी), राज्य परिवहन सेवाओं और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारी बंद में भाग ले रहे हैं। सार्वजनिक बसों के अलावा निजी टैक्सियाँ और ऐप-आधारित कैब सेवाएँ प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि ट्रेड यूनियन और संबद्ध समूह कई शहरों में विरोध मार्च और सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे लोगों को यात्रा में परेशानी हो सकती है।
रेलवे और मेट्रो: कोई आधिकारिक रेलवे हड़ताल नहीं है, लेकिन स्टेशनों के पास विरोध-प्रदर्शनों के कारण सड़क जाम होने से लोकल ट्रेनों में देरी हो सकती है। मेट्रो और हवाई यात्रा सामान्य रूप से चलने की उम्मीद है। दैनिक यात्रियों को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
स्कूल, कॉलेज और कार्यालय: शैक्षणिक संस्थान और अधिकांश निजी कार्यालय खुले रहने की उम्मीद है। हालाँकि, सार्वजनिक परिवहन बाधित होने की संभावना के कारण, छात्रों, शिक्षकों और कार्यालय जाने वालों को देरी का सामना करना पड़ सकता है। कुछ जगहों पर एहतियात के तौर पर कुछ स्कूलों ने बंद रखा है।
जरूरी सेवाएं और बाजार: अस्पताल, दवा दुकान, आपातकालीन सेवाएं, जरूरी चीजें जैसे बिजली, पानी की आपूर्ति का संचालन सामान्य रूप से जारी रहने की उम्मीद है। छोटी-मोटी दुकानें और पड़ोस की दुकानें खुली रह सकती हैं, लेकिन ग्राहकों की संख्या में कमी आ सकती है। देर शाम तक बाजार सामान्य रूप से खुल सकता है।
क्यों बुलाया गया है भारत बंद?
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सरकार के कथित 'मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों' के विरोध में इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। उनकी चिंता हाल ही में लागू किए गए श्रम और आर्थिक सुधार हैं, जिनके बारे में इनका कहना है कि ये आम मजदूरों और कृषि क्षेत्र की कीमत पर बड़ी कंपनियों को फायदा पहुँचा रहे हैं।
यूनियन फोरम ने बताया कि वार्षिक श्रम सम्मेलन एक दशक से आयोजित नहीं हुआ है। इन्होंने सरकार पर मजदूरों के हितों के खिलाफ एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाया। उन्होंने चार लेबर कोड को लागू करने की कोशिशों की भी आलोचना की, और दावा किया कि इस कदम का उद्देश्य मजदूरों की आवाज को कम करना, यूनियन की गतिविधियों को सीमित करना और 'व्यापार में आसानी' में सुधार की आड़ में नियोक्ताओं को फायदा पहुँचाना है।
श्रम अधिकारों के अलावा, फोरम ने बढ़ती बेरोजगारी, जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, स्थिर मजदूरी और स्वास्थ्य, शिक्षा व नागरिक सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च में कटौती पर भी चिंता जताई है। उनका तर्क है कि ये मुद्दे आर्थिक असमानता को बढ़ा रहे हैं और निम्न-आय व मध्यम वर्गीय परिवारों को और ज़्यादा संकट में डाल रहे हैं।
एक और बड़ी चिंता सरकारी विभागों में भर्ती की नीति को लेकर है। यूनियनों का दावा है कि युवा पेशेवरों को नियुक्त करने के बजाय सरकार सेवानिवृत्त कर्मियों को फिर नियुक्त कर रही है, विशेषकर रेलवे, एनएमडीसी लिमिटेड, इस्पात क्षेत्र और शिक्षा जैसे विभागों में ऐसा हो रहा है।
इनका कहना है कि यह तरीका उस देश में विशेष रूप से चिंताजनक है जहाँ 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है और सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर 20 से 25 वर्ष की आयु के लोगों में है।
प्रदर्शनकारी यूनियनों की कई माँगें हैं। इसमें- बेरोज़गारी से निपटना, रिक्त सरकारी पदों को भरना, अधिक रोजगार सृजित करना और मनरेगा मजदूरों के वेतन और कार्यदिवस दोनों में वृद्धि करना शामिल है। वे शहरी क्षेत्रों के लिए भी इसी तरह की रोजगार योजना लागू करने की माँग कर रहे हैं।