बेंगलुरु में 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' ने ली इंजीनियर की जान! ये 5 मामले भी रहे थे सुर्खियों में

Banglore में टॉक्सिक वर्क कल्चर और बढ़ते वर्कलोड की वजह से एक इंजीनियर ने जान दे दी। इसके बाद से एक बार फिर से वर्क कल्चर को लेकर डिबेट तेज हो गई है।

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वर्कप्लेस पर बढ़ता टॉक्सिक वर्क कल्चर Photograph: (सोशल मीडिया)

बेंगलुरुः बेंगलुरु में एक इंजीनियर का शव बीती आठ मई अगरा झील के किनारे पाया गया था। शव मिलने के करीब दो हफ्तों बाद रेडिट पर एक पोस्ट की गई जिसमें कहा गया कि एआई इंजीनियर की मौत टॉक्सिक वर्क कल्चर और शोषण के चलते हुई है। 

गौरतलब है कि निखिल सोमवंशी नामक युवक का शव आठ मई को मिला था और मामले में जांच के लिए एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी। निखिल एक एआई कंपनी जिसका नाम 'कृत्रिम' है, में बतौर मशीन लर्निंग इंजीनियर काम करते थे। दरअसल, कृत्रिम राइड हेलिंग कंपनी ओला की एआई कंपनी है। 

रेडिट पोस्ट में क्या लिखा?

एक रेडिट पोस्ट में यूजर 'Kirgawakutzo' ने निखिल के मैनेजर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पनुगंती नियमित तौर पर कर्मचारियों के प्रति "आघातकारी" भाषा का उपयोग करते थे। इसके अलावा इस पोस्ट में आरोप लगाया गया कि मैनेजर तनावपूर्ण माहौल को बढ़ावा देते थे। इसके चलते कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया। 

ऐसे में एक बार फिर से बेंगलुरु और अन्य बड़े शहरों में रहकर काम करने वाले कर्मचारियों के बीच वर्क कल्चर को लेकर ध्यान खींचा है। बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनके बारे में सिलसिलेवार तरीके से बात करेंगे। 

14 घंटे काम...24 किलो बढ़ा वजन

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्क कल्चर के बारे में रेडिट पर अक्सर लोग अपना नाम छुपाकर टॉक्सिक वर्क कल्चर के बारे में लिख रहे हैं। खबर के मु्ताबिक, एक शख्स ने हाल ही में कॉर्पोरेट में काम करने को लेकर गुलामी बताते हुए कहा था कि इस वर्क कल्चर का असर उसके स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य तथा सामाजिक जीवन पर भी पड़ रहा है।

रेडिट पर की गई पोस्ट के मुताबिक, युवक रोजाना करीब 14 घंटे काम करता है और दो बजे तक सोता है। उसने लिखा कि कंपनी में तीन साल काम करने के दौरान उसका वजन कथित तौर पर 24 किलो बढ़ा है। 

कर्मचारी ने कहा था कि उसकी मां स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। उसने प्रोफेशनल ग्रोथ के चलते निजी जीवन का जो नुकसान हुआ है उसको लेकर काफी चिंतित है। रेडिट पर यह पोस्ट वायरल होने के बाद अलग-अलग यूजर्स ने प्रतिक्रियाएं देते हुए कुछ सलाह भी दीं। 

EY कंपनी की CA की मौत

बीते साल जुलाई में EY कंपनी में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। कंपनी की एक सीए एना सेबेस्टियन की मौत हो गई थी। एना 26 वर्ष की थी। एना की मौत के बाद उनकी मां ने कंपनी पर टॉक्सिक वर्क कल्चर और वर्कलोड को जिम्मेदार बताया था। यह मामला सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा था। 

एना की मां ने कंपनी को एक लेटर लिखकर कंपनी से वर्क कल्चर को बदलने की मांग की थी। हालांकि कंपनी ने इस बात से इंकार किया था कि वर्क लोक के चलते एना की मौत हुई थी। 

एना ने EY मार्च में कंपनी में बतौर एग्जीकूटिव ज्वाइन किया था। उसके पेरेंट्स ने बताया था कि जुलाई में जब वो उससे मिलने गए थे तो एना ने सीने में दर्द की शिकायत की थी। माता-पिता ने यह भी बताया कि इस दौरान वह खाना ठीक से नहीं खा रही थी और हर समय ऑफिस के काम को लेकर फिक्रमंद रहती थी। 

तीन महीने में नौकरी से निकाल दिया

दिसंबर 2024 में एक आईटी प्रोफेशनल ने सोशल मीडिया पर टॉक्सिक वर्क कल्चर और वर्क लोड के बारे में लिखा कि उसे तीन महीने के भीतर ही अमेरिकी कंपनी से निकाल दिया गया। डेक्कन हेराल्ड की खबर के मुताबिक, सौरभ पटेल ने यहां कंपनी में सितंबर 2024 में ज्वाइन किया था। 

पटेल ने वर्क कल्चर के बारे में लिंक्डइन पर पोस्ट किया था। सौरभ ने आरोप लगाया कि उसे अक्सर शिफ्ट खत्म होने से पहले कुछ काम सौंप दिया जाता था जिसे उसे पूरा करना होता था। इसके चलते उसे दो घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता था।

हेल्दी वर्क कल्चर की मांग 

इसी साल मार्च में टॉक्सिक वर्क कल्चर और बढ़ते वर्कलोड को लेकर बेंगलुरु में आईटी कर्मचारी इकट्ठा हुए थे। ये कर्मचारी कर्नाटक राज्य आईटी, आईटीईएस कर्मचारी यूनियन (KITU) के बैनर तले इकट्ठा हुए थे। ये कर्मचारी हेल्दी वर्क कल्चर और वर्क लाइफ बैलेंस की मांगो को लेकर इकट्ठा हुए थे। हालांकि इस मांग में और ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी लेकिन कम लोगों के शामिल होने पर किटु के सलाहकार वसंतराज ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा था कि अपनी आवाज उठाने के लिए कम से कम छह हजार लोगों को जुटना चाहिए। 

इस दौरान वसंत ने कहा था कि यह सच्चाई है कि आईटी उद्योग के कप्तान खूब मुनाफा कमा रहे हैं जबकि इसके लिए कर्मचारियों को निचोड़ रहे हैं। 

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