बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामले में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आरसीबी और डीएनए नेटवर्क्स ने कर्नाटक हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। गौरतलब है कि इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हुई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे।
दोनों ने राज्य पुलिस पर गंभीर लापरवाही और भीड़ नियंत्रण में विफल रहने का आरोप लगाया है। कंपनियों का कहना है कि यह हादसा सरकारी चूक का नतीजा था, लेकिन सारा दोष उन पर डाला जा रहा है।
पुलिस पर नाकामी का आरोप, सरकार की भूमिका पर उठे सवाल
डीएनए नेटवर्क्स का कहना है कि घटना के लिए राज्य पुलिस की लापरवाही जिम्मेदार है, जिसने बड़ी भीड़ की समुचित व्यवस्था नहीं की। कंपनी ने याचिका में दावा किया कि स्टेडियम में पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती नहीं की गई थी क्योंकि अधिकांश पुलिसकर्मी विधान सौध परिसर में तैनात थे, जहां उसी दिन आरसीबी की जीत का सरकारी समारोह रखा गया था।
कंपनी के अनुसार, उन्होंने पहले भी टी20 वर्ल्ड कप विजय जुलूस जैसे बड़े कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक किया है। उन्होंने बताया कि मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की क्षमता महज़ 32,000 होने के बावजूद वह कार्यक्रम बिना किसी अव्यवस्था के संपन्न हुआ था।
डीएनए नेटवर्क्स ने कहा कि उन्होंने आयोजन के लिए 584 निजी सुरक्षाकर्मी तैनात किए और पुलिस के लिए 2,450 खाने के पैकेट तैयार किए थे, परंतु पुलिस उपस्थिति कम होने की वजह से केवल 600 पैकेट ही वितरित किए जा सके।
देर से खुले गेट, लाठीचार्ज से फैली भगदड़: आयोजकों का दावा
कंपनी ने आरोप लगाया कि घटना के दिन, भीड़ की स्पष्ट मौजूदगी के बावजूद स्टेडियम के गेट 3:30 बजे तक नहीं खोले गए। इसके बाद पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से लोगों में भगदड़ मच गई, जिससे हादसा हुआ।
डीएनए नेटवर्क्स ने यह भी आरोप लगाया कि दो उनके स्टाफ को राजनीतिक दबाव में गिरफ्तार किया गया और यह सब राज्य सरकार की चूक से ध्यान भटकाने के लिए किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन कर्नाटक सरकार के आधिकारिक निमंत्रण पर हुआ था, जिसकी निगरानी खुद मुख्य सचिव ने की थी।
RCB ने भी जताई नाराजगी, गिरफ्तारी को बताया राजनीतिक दबाव
आरसीबी की मालिकाना हक वाली रॉयल चैलेंजर्स स्पोर्ट्स लिमिटेड (RCSL) ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से मामले में फंसाया गया है। RCSL ने अपनी याचिका में बताया कि उन्होंने पहले से ही सोशल मीडिया के माध्यम से यह स्पष्ट किया था कि पास सीमित हैं और मुफ्त पास भी पूर्व पंजीकरण के बाद ही मिलेंगे।
आरसीबी के मार्केटिंग प्रमुख निखिल सोसले ने अपनी गिरफ्तारी को मनमाना, अवैध और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। याचिका में कहा गया है कि उनकी गिरफ्तारी बिना किसी ठोस जांच के केवल मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देशों पर हुई है, जिससे स्पष्ट है कि यह राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई है।
हाईकोर्ट में आज दोपहर सुनवाई, सरकार ने भी लिए सख्त कदम
कर्नाटक हाईकोर्ट में इस पूरे मामले पर सोमवार सुनवाई होनी है। अदालत चार अलग-अलग याचिकाओं पर विचार करेगी, जिनमें डीएनए नेटवर्क्स और आरसीबी अधिकारियों द्वारा दाखिल याचिकाएं शामिल हैं।
इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दुख जताते हुए कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस के पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और खुफिया प्रमुख तथा उनके राजनीतिक सचिव को भी पद से हटाया गया है। इसके अलावा मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय आयोग भी गठित किया गया है।