भगदड़ मामला: हाईकोर्ट ने RCB अधिकारी निखिल सोसले समेत चार आरोपियों को दी अंतरिम जमानत

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि इन सभी व्यक्तियों के खिलाफ गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं था और पुलिस द्वारा केवल इस आधार पर गिरफ्तारी करना कि ये आरोपी संबंधित कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर थे, पूरी तरह अनुचित और गैरकानूनी है।

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Photograph: (IANS)

बेंगलुरुः बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में 4 जून 2025 को हुए भयावह भगदड़ मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले समेत चार आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने निखिल सोसले और डीएनए नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन अन्य कर्मचारियों- सुनील मैथ्यू, किरण कुमार एस और शमंत एन पी माविनकेरे पर पुलिस कार्रवाई को कठघरे में खड़ा किया। न्यायाधीश एसआर कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने गुरुवार को इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी को कानून की दृष्टि से दोषपूर्ण करार देते हुए उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि इन सभी व्यक्तियों के खिलाफ गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं था और पुलिस द्वारा केवल इस आधार पर गिरफ्तारी करना कि ये आरोपी संबंधित कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर थे, पूरी तरह अनुचित और गैरकानूनी है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआर में इन लोगों को नामित नहीं किया गया था और गिरफ्तारी से पूर्व उनके खिलाफ किसी भी तरह की आपराधिक संलिप्तता का कोई प्रत्यक्ष या प्राथमिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।

1-1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहाई

न्यायालय ने आदेश दिया कि सभी आरोपी एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किए जाएं और उन्हें अपने-अपने पासपोर्ट दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में जमा कराने होंगे। साथ ही, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे गवाहों को न धमकाएं, न ही जांच में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करें।

अदालत ने यह भी पाया कि गिरफ्तारी के समय पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित अनिवार्य दस्तावेज जैसे अरेस्ट मेमो, गिरफ्तारी के कारणों का विवरण, निरीक्षण पंचनामा आदि प्रस्तुत नहीं किए थे, जो कि अर्णेश कुमार बनाम बिहार राज्य और डीके बसु केस जैसे ऐतिहासिक मामलों में अनिवार्य करार दिए गए हैं। इस आधार पर अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी कानून के तहत अस्वीकार्य है और रद्द किए जाने योग्य है।

न्यायालय ने इस बात पर भी गंभीर टिप्पणी की कि जब इस मामले की जांच क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) को सौंप दी गई थी, तब स्थानीय पुलिस द्वारा 6 जून की सुबह 3 से 5 बजे के बीच की गई गिरफ्तारी अधिकार क्षेत्र के बाहर और गैरकानूनी थी।

आरसीबी ने क्या कहा था याचिका में?

इससे पहले आरसीबी की ओर से दायर याचिका में यह दावा किया गया था कि गिरफ्तारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक दबाव में की गई थी और किसी भी पूर्व जांच या साक्ष्य के बिना कार्रवाई की गई। सोसले के वकीलों ने दलील दी कि केवल मीडिया दबाव और राजनीतिक संदेश देने की मंशा से गिरफ्तारी की गई, जबकि उनकी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी।

इस पूरे मामले में आरसीबी, डीएनए नेटवर्क्स और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) को एफआईआर में प्रमुख संस्थाओं के रूप में नामित किया गया था। भगदड़ की घटना में 11 लोगों की मौत और कई घायल हुए थे, जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर बन गया था। कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष ई.एस. जयराम और सचिव ए. शंकर ने 7 जून को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।

आरसीबी की मूल कंपनी डियाजियो अब इस मामले की अपनी आंतरिक जांच कर सकती है, हालांकि विजय जश्न के अगले दिन जारी एक प्रेस बयान के अलावा आरसीबी की ओर से कोई आधिकारिक बयान या सोशल मीडिया प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है। 

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