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इम्फाल/आइजोलः मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा की हालिया टिप्पणी के बाद मणिपुर सरकार ने उनपर नफरत और विभाजन का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। 29 नवंबर की रात जारी किए गए एक बयान में मणिपुर सरकार ने उन्हें बेहतर राजनेता बनने की सलाह दी और कहा कि वह अच्छे पड़ोसी बनकर रहें, नफरत ने भड़काएं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए उन्हें राज्य, जनता और बीजेपी के लिए बोझ बताया था और राष्ट्रपति शासन की मांग की थी। लालदुहोमा के बयान पर मणिपुर सरकार ने अब कड़ी आपत्ति जताई है। एन बीरेन सिंह ने लालदूहोमा पर निशाना साधते हुए कहा कि वे मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की वकालत कर रहे हैं और भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध कर रहे हैं।
लालदुहोमा पर 'विखंडनकारी एजेंडे' का समर्थन करने का आरोप
बयान में मणिपुर सरकार ने कहा कि भारत को कुकी-चिन ईसाई राष्ट्र बनाने की एक बड़ी साजिश को लेकर सतर्क रहना चाहिए। यह साजिश म्यांमार, भारत और बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलाकर बनाई जा रही है, जो दशकों की सुनियोजित योजना का हिस्सा है। मणिपुर सरकार ने कहा कि वह पूर्वोत्तर भारत के किसी भी हिस्से को विदेशी या अलगाववादी हितों के अधीन नहीं होने देगी। बयान में मिजोरम के मुख्यमंत्री पर अलगाववादी एजेंडे का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है।
'ड्रग्स के खिलाफ जंग' और मणिपुर की उपलब्धियां
मणिपुर सरकार ने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट अवैध म्यांमार प्रवासियों की देन है। बीरेन सिंह की 'ड्रग्स के खिलाफ जंग' ने म्यांमार के अवैध अफीम व्यापार को झटका दिया है, जिससे इन प्रवासियों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है।बयान में यह भी कहा गया कि 2017 से अब तक 'ड्रग्स के खिलाफ जंग' के तहत मणिपुर में ₹60,000 करोड़ मूल्य की नशीली वस्तुओं को जब्त या नष्ट किया गया है। इस अभियान के चलते राज्य में ड्रग्स का ट्रांजिट लगभग समाप्त हो गया है। इसके विपरीत, मिजोरम अब भारत और म्यांमार के बीच अवैध हथियारों, गोला-बारूद और ड्रग्स की तस्करी के लिए पसंदीदा मार्ग बन गया है।
मणिपुर सरकार ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वे ड्रग्स व्यापार से मिजो समाज पर मंडरा रहे खतरे पर ध्यान दें, बजाय इसके कि मणिपुर सरकार के कानूनी रूप से उचित प्रयासों को जनजाति विरोधी करार दें।
मिजोरम पर अवैध प्रवासियों को संरक्षण देने का आरोप
बयान में मणिपुर सरकार ने मिजोरम पर अवैध म्यांमार प्रवासियों को संरक्षण देने और भूमि हथियाने के प्रयासों का आरोप लगाया। मणिपुर सरकार ने कहा कि मिजोरम ने भी भूमि, आजीविका और संसाधनों पर दबाव को देखते हुए म्यांमार नागरिकों को भूमि खरीदने और व्यवसाय चलाने से पहले अनुमति लेने का निर्देश दिया है। मणिपुर सरकार ने यह भी दावा किया कि कुकी-चिन समुदाय के नेतृत्व में जिलों का निर्माण, स्वायत्त जिला परिषदों की स्थापना और अंततः राष्ट्रवाद के एजेंडे के तहत भूमि हथियाने की साजिश रची जा रही है।
शांति बहाल करने के प्रयास
मणिपुर सरकार ने कहा कि वह राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। राहत शिविरों में रह रहे 60,000 से अधिक लोगों को भोजन, कपड़े और आश्रय मुहैया कराया जा रहा है। पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद को वापस लाने के लिए तलाशी अभियान जारी है।
'अच्छे पड़ोसी' की भूमिका निभाने की सलाह
बयान में मणिपुर सरकार ने कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री को नफरत और विभाजन फैलाने के बजाय एक अच्छे पड़ोसी की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो कोई भी व्यक्ति या समूह ऐसे विघटनकारी इरादों के साथ काम करेगा, उसे कानून के दायरे में सख्ती से निपटा जाएगा।