बांका लोकसभा सीटः बिहार के बांका क्षेत्र में इस लोकसभा चुनाव में लड़ाई दिलचस्प होने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव 2019 में यहां त्रिकोणात्मक मुकाबला देखने को मिला था। हालांकि, जदयू के गिरिधारी यादव ने राजद के जय प्रकाश यादव को पराजित कर राजद से यह सीट छीन ली थी। इस सीट पर जदयू को जहां 4,77,788 वोट मिले थे, वहीं राजद के जय प्रकाश 2,77,256 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल कुमारी 1,03,729 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। इस चुनाव में भी एनडीए ने फिर से जदयू के गिरिधारी यादव को प्रत्याशी बनाया है, वहीं महागठबंधन की ओर से राजद ने जय प्रकाश यादव पर भरोसा जताया है।
ऐतिहासिक और पौराणिक धरती के रूप में पहचाने जाने वाले बांका की धरती समजवादियो की गढ़ मानी जाती रही है। मधु लिमये जैसे समाजवादी नेता भी इस क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके हैं। हालांकि, इस चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।
बांका संसदीय क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें
मंदार पर्वत के कारण प्रसिद्ध बांका शहर ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इसी मंदार पर्वत से समुद्र मंथन हुआ था। बांका संसदीय क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर विधानसभा सीटें आती हैं। धोरैया विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) और कटोरिया विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सुरक्षित है। करीब 17 लाख मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता कभी कांग्रेस को सिर पर बिठाया तो कभी यहां जनसंघ भी मतदाताओं का पसंद बना।
चार बार महिला उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया
आजादी के बाद 1957 में बांका बिहार की चुनिंदा सीट थी। यहां से महिला उम्मीदवारों ने चार बार जीत का परचम लहराया। 1957 से 1962 तक यहां से लगातार दो बार कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला देवी ने जीत दर्ज की। वर्ष 1972 से 1977 तक वह बेलहर से विधायक रहीं। इसके अलावा 1984 में पूर्व मुख्यंत्री चंद्रशेखर सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह यहां से सांसद चुनी गईं। वहीं 2010 में इस सीट से तीन बार के सांसद रहे दिग्विजय सिंह के निधन के बाद उपचुनाव कराया गया जिसमें उनकी पत्नी पुतुल देवी ने जीत दर्ज की थी।
समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस को यहां दो बार हार का मुंह देखना पड़ा
समाजवादी नेताओं ने भी यहां पैठ बनाई, हालांकि समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस को यहां दो बार हार का भी मुंह देखना पड़ा। पहली बार वे 1985 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज चंद्रशेखर सिंह से चुनाव हारे। चंद्रशेखर के निधन के बाद 1986 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी मनोरमा सिंह से जॉर्ज फर्नांडिस को हार का सामना करना पड़ा था। जॉर्ज फर्नांडिस महाराष्ट्र के प्रख्यात समाजवादी नेता मधु लिमये के साथ बांका आए थे। मधु लिमये बांका से 1973 और 1977 के चुनाव में जीत हासिल की तो इसके पीछे जॉर्ज फर्नांडिस की मेहनत भी थी।
जदयू ने गिरिधारी यादव को बनाया प्रत्याशी, राजद ने जय प्रकाश यादव पर जताया भरोसा
इस चुनाव में एनडीए ने फिर से जदयू के गिरिधारी यादव को प्रत्याशी बनाया है, जबकि महागठबंधन की ओर से राजद ने जय प्रकाश यादव पर भरोसा जताया है। 2014 में राजद के जय प्रकाश नारायण यहां से चुने गए थे, जबकि 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने परचम लहराया था। सिंह के निधन के बाद 2010 में हुए उपचुनाव में पुतुल कुमारी सांसद बनी थीं। दिग्विजय सिंह ने तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जय प्रकाश यादव और दिग्विजय सिंह केंद्र सरकार में मंत्री बने।
बांका बिहार की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट रही है
साल 1957 में अस्तित्व में आई बांका लोकसभा सीट क्षेत्र से चुनाव लड़ने वालों में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडीस, बी.एस. शर्मा का नाम शामिल रहा है।