बांग्लादेश सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर आपत्ति जताई है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद ने कहा कि ममता बनर्जी के इस बयान से लोगों में भ्रम और गलतफहमी पैदा हो सकती है। मंगलवार को बांग्लादेश ने भारतीय सरकार को एक नोट भेजा है। ममता बनर्जी ने कहा था कि पड़ोसी देश के हिंसा से पीड़ित लोगों के लिए पश्चिम बंगाल के दरवाजे खुले हैं।
बांग्लादेश सरकार ने ममता बनर्जी के बयान पर क्या दी प्रतिक्रिया?
यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश ने रिपोर्ट के मुताबिक, हसन महमूद ने कहा- “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पूरा सम्मान करते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे उनके साथ बहुत अच्छे और गहरे संबंध हैं। लेकिन उनके बयान में भ्रम और गलतफहमी होने की काफी गुंजाइश है।
#Breaking: #Bangladesh Foreign Minister Dr. Hasan Mahmud responds to #WestBengal CM #MamataBanerjee’s comment on “her heart goes out to the students killed in #Bangladesh violence”.
He says, “With due respect, I want to say that we share a very good & warm relationship with the… pic.twitter.com/bMnbBGyRPn
— Pooja Mehta (@pooja_news) July 23, 2024
यह बयान ममता बनर्जी के कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की वार्षिक शहीद दिवस रैली को संबोधित करने के एक दिन बाद आया है, जब उन्होंने बांग्लादेश के लोगों को शरण देने की पेशकश की। बांग्लादेश में सिविल सेवाओं में आरक्षण के खिलाफ छात्रों द्वारा हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
ममता बनर्जी ने क्या कहा था?
सोमवार को ममता बनर्जी ने कहा था कि “मुझे बांग्लादेश के मामलों पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह एक संप्रभु राष्ट्र है, और इस मुद्दे पर जो कुछ भी कहना है वह केंद्र का विषय है। लेकिन मैं आपसे यह कह सकती हूं कि यदि बेबस लोग हमारे दरवाजे पर दस्तक देते हैं, तो हम निश्चित रूप से उन्हें शरण देंगे।”
मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश के लोगों से यह भी आग्रह किया कि वे बांग्लादेश की स्थिति के संबंध में ‘उकसावे’ में न आएं।
ममता से उनके बयान पर राज्यपाल ने मांगी रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी उनकी टिप्पणी की आलोचना की और पश्चिम बंगाल सरकार को याद दिलाया कि केंद्र के पास विदेशी मामलों से संबंधित किसी भी मामले को संभालने का विशेषाधिकार है। राजभवन के अनुसार, बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके बयान पर रिपोर्ट भी मांगी है।
बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन क्यों?
बांग्लादेश में विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की जा रही है। जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण दिया गया था।
पुलिस और ज़्यादातर छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें कथित तौर पर 130 से ज़्यादा लोग मारे गए। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा घोषित नहीं किया गया है। कर्फ्यू लगा दिया गया और पूरे बांग्लादेश में सेना तैनात कर दी गई।
प्रदर्शनकारियों की एक प्रमुख मांग को पूरा करते हुए देश के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद कोटा प्रणाली को कम कर दिया था।