सुप्रीम कोर्ट Photograph: (सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बेंगलुरु का प्रसिद्ध हरि कृष्ण मंदिर इस्कॉन सोसाइटी बेंगलुरु का है। इस फैसले ने इस्कॉन बेंगलुरु और इस्कॉन मुंबई के बीच लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवाद को समाप्त कर दिया, जिसमें दोनों पक्ष मंदिर और इससे जुड़े शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण का दावा कर रहे थे। जस्टिस ए एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलोर की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बेंगलुरु में प्रतिष्ठित हरे कृष्ण मंदिर और शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण को लेकर इस्कॉन मुंबई के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। जस्टिस ए एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाया।
इस्कॉन बेंगलोर ने हाई कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
इस्कॉन बेंगलोर ने 23 मई, 2011 के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 2 जून, 2011 को शीर्ष न्यायालय का रुख किया था।
इस्कॉन बेंगलोर ने याचिका में उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें बेंगलुरु की एक स्थानीय अदालत के 2009 के आदेश को पलट दिया गया था। इस्कॉन बेंगलोर का प्रतिनिधित्व इसके पदाधिकारी कोदंडराम दास ने किया। कोर्ट ने पहले इस्कॉन बेंगलोर के पक्ष में फैसला सुनाया था, इसके कानूनी नाम को मान्यता दी और इस्कॉन मुंबई के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा दी थी।
हालांकि, हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और इस्कॉन मुंबई के दावे को बरकरार रखा, जिससे उन्हें मंदिर पर नियंत्रण मिल गया। इस कानूनी लड़ाई में समान नाम और आध्यात्मिक मिशन वाली दो सोसाइटी एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी रहीं।
इस्कॉन बेंगलोर ने किया था दावा
कर्नाटक में पंजीकृत सोसाइटी इस्कॉन बेंगलोर का दावा है कि वह दशकों से स्वतंत्र रूप से काम कर रही है और बेंगलुरु के मंदिर का प्रबंधन कर रही है। राष्ट्रीय सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 और बंबई सार्वजनिक न्यास अधिनियम, 1950 के तहत पंजीकृत इस्कॉन मुंबई का दावा है कि इस्कॉन बेंगलोर केवल उसकी शाखा है और संबंधित संपत्ति सही मायने में उसके (मुंबई स्थित इस्कॉन) के अधिकार क्षेत्र में आती है।