ओडिशा के बालासोर स्थित फकीर मोहन कॉलेज की एक छात्रा ने शुक्रवार को कथित उत्पीड़न के विरोध में कॉलेज गेट पर आत्मदाह का प्रयास किया। इंटीग्रेटेड बी.एड. द्वितीय वर्ष की छात्रा सौम्यश्री बिसी ने विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली।

छात्रा को गंभीर हालत में पहले बालासोर मेडिकल कॉलेज और बाद में भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य सरकार ने उसके समस्त इलाज का खर्च उठाने की घोषणा की है। घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से आरोपी प्रोफेसर और कॉलेज प्राचार्य को निलंबित कर दिया है। साथ ही, उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने मामले की गहराई से जांच के लिए उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है।

घटना की पृष्ठभूमि और आरोप

घटना से पहले सौम्यश्री कथित दुर्व्यवहार के लिए प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कॉलेज परिसर के पास धरना दे रही थी। बताया जा रहा है कि पहले शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने से वह बेहद निराश थी।

आत्मदाह के दौरान उसे तुरंत बचाया गया और गंभीर हालत में बालासोर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। बाद में उसकी चोटों की गंभीरता को देखते हुए उसे एम्स भुवनेश्वर स्थानांतरित कर दिया गया। इस घटना से छात्रों और नागरिक समाज में भारी आक्रोश फैल गया है, जो निष्पक्ष जांच और आरोपी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

राज्य सहायक सचिव शुभ्रा संबित नायक ने फकीर मोहन कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नायक ने कहा, "यह घटना अचानक नहीं हुई। लड़की पिछले छह महीनों से उत्पीड़न का सामना कर रही थी। पिछले दो सालों में कई छात्राओं ने इसी लेक्चरर के खिलाफ शिकायत की थी। बार-बार शिकायत करने के बावजूद कॉलेज और प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।"

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि शिकायतों पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई, छात्रा को बार-बार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उसे झूठा करार दिया गया, जबकि लेक्चरर को एक अच्छा शिक्षक बताया गया। कार्रवाई न होने पर गुस्सा जताते हुए नायक ने कहा, "यह हमारी बहन की जान का सवाल था। किसी को नहीं पता था कि वह इतनी बड़ी योजना बना रही है। वह बस यह जानना चाहती थी कि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।" उन्होंने इंटीग्रेटेड बी.एड. के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और अन्य लोगों को मामले को दबाने की कोशिश करने के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ऐसे लोगों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

सरकार ने जांच समिति गठित 

मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने फकीर मोहन कॉलेज के प्राचार्य और आरोपी प्रोफेसर समीर कुमार साहू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, आरोपी प्रोफेसर को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति में उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक काली प्रसन्ना महापात्र को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि संयुक्त सचिव मौसमी नायक और भुवनेश्वर के स्वायत्त महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. झुमकी रथ को सदस्य नियुक्त किया गया है।

यह समिति आत्मदाह की परिस्थितियों की गहन जांच करेगी, साथ ही कॉलेज प्रशासन, प्राचार्य और आंतरिक शिकायत समिति की भूमिका की भी समीक्षा करेगी। जांच के दौरान किसी भी व्यक्ति विशेष या अधिकारी की लापरवाही या चूक की पहचान कर उस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि छात्राओं की सुरक्षा और गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने महिला अधिकारियों को शामिल करते हुए शीघ्र जांच समिति गठित की है। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार छात्रा के इलाज का पूरा खर्च उठा रही है और भगवान जगन्नाथ से उसके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। उन्होंने आश्वस्त किया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।