भुवनेश्वर: फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज की छात्रा द्वारा आत्मदाह करने की घटना को लेकर ओडिशा की राजनीति में उबाल आ गया है। बुधवार को विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) ने राजधानी भुवनेश्वर में ओडिशा सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और घटना की न्यायिक जांच की मांग की। पार्टी ने ओडिशा हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की मांग करते हुए बालासोर बंद भी कराया।

भुवनेश्वर में प्रदर्शन के दौरान स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब सैकड़ों बीजद कार्यकर्ता मास्टर कैंटीन चौक से सचिवालय की ओर मार्च करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़ने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर किया और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।

बीजद ने की न्यायिक जांच की मांग

बीजद ने चेतावनी दी है कि जब तक न्यायिक जांच की घोषणा नहीं होती, प्रदर्शन जारी रहेगा। पार्टी ने बुधवार को बालासोर जिले के सभी प्रमुख शहरों में प्रदर्शन किए, जिससे सरकारी दफ्तरों, अदालतों और निजी संस्थानों के कामकाज पर असर पड़ा। यातायात भी ठप रहा।

पार्टी ने आरोप लगाया कि छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत के बावजूद पुलिस ने एचओडी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बजाय केवल स्टेशन डायरी में एंट्री की। इसके अलावा, बीजद ने बालासोर के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी और उच्च शिक्षा मंत्री सूरज सूर्यवंशी से इस्तीफे की मांग की।

पार्टी का कहना है कि पीड़िता ने सोशल मीडिया पर दोनों को टैग कर शिकायत की थी, लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया। पार्टी ने मृतक छात्रा के परिवार को 2 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की है। बीजद नेताओं ने आरोप लगाया कि “भाजपा के शासन में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और यह घटना उसका स्पष्ट प्रमाण है।”

छात्रा इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। 12 जुलाई को अपने एचओडी समीरा साहू द्वारा उत्पीड़न से तंग आकर खुद को आग लगा ली थी। सोमवार रात को एम्स भुवनेश्वर में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

इसी बीच, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बुधवार शाम को अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है, जिसमें एफएम कॉलेज मामले से जुड़े कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

राहुल गांधी ने छात्रा के पिता से की बात

इस घटना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने छात्रा के पिता से फोन पर बात कर संवेदना जताई और उन्हें न्याय की लड़ाई में पूरा साथ देने का भरोसा दिलाया। राहुल ने इसे न सिर्फ अमानवीय और शर्मनाक, बल्कि समाज के लिए एक गहरा जख्म बताया। 

राहुल गांधी ने बुधवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "ओडिशा के बालासोर में इंसाफ की लड़ाई में जान गंवाने वाली बहादुर बेटी के पिता से बात की। उनकी आवाज में बेटी का दर्द, सपना और संघर्ष सब महसूस किया। उन्हें भरोसा दिलाया कि कांग्रेस पार्टी और मैं हर कदम पर उनके साथ हैं। जो हुआ वह अमानवीय और शर्मनाक ही नहीं, पूरे समाज का जख्म है। हम हर हाल में यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ित परिवार को पूरा न्याय मिले।"

राहुल गांधी ने इससे पहले एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि देश की बेटियां जल रही हैं और सरकार खामोश बैठी है। राहुल गांधी ने लिखा, "हर बार की तरह भाजपा का सिस्टम आरोपियों को बचाता रहा और एक मासूम बेटी को खुद को आग लगाने पर मजबूर कर दिया। ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम द्वारा संगठित हत्या है। प्रधानमंत्री जी, ओडिशा हो या मणिपुर, देश की बेटियां जल रही हैं, टूट रही हैं और दम तोड़ रही हैं। और आप खामोश बने बैठे हैं। देश को आपकी चुप्पी नहीं, जवाब चाहिए। भारत की बेटियों को सुरक्षा और इंसाफ चाहिए।"

बालासोर की घटना के बाद कांग्रेस ओडिशा में सड़क पर उतरी है। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भगत चरण दास के नेतृत्व में बालासोर में एक कैंडल मार्च निकाला गया। गुरुवार को कांग्रेस और सात वामपंथी दलों ने ओडिशा बंद का आह्वान किया है, जो सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रभावी रहेगा।

घटना के बाद कॉलेज के प्राचार्य और आरोपी प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया गया है। बीजद ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक बीजेपी सरकार न्यायिक जांच की घोषणा नहीं करती, आंदोलन राज्यभर में जारी रहेगा।

यूजीसी ने गठित की चार सदस्यीय जांच समिति

घटना की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक चार सदस्यीय जांच समिति गठित की है। इसका नेतृत्व यूजीसी सदस्य प्रो. राज कुमार मित्तल कर रहे हैं। समिति कॉलेज की आंतरिक शिकायत प्रक्रिया, यौन उत्पीड़न विरोधी दिशा-निर्देशों के अनुपालन और संकटग्रस्त छात्रों के लिए उपलब्ध सहायता तंत्र की जांच करेगी। समिति को सात दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश मिला है।

समिति छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों से सुझाव लेकर सुरक्षित शैक्षणिक माहौल बनाने की दिशा में कदम उठाएगी। यूजीसी का यह कदम न केवल इस मामले की गहराई से जांच करने की दिशा में है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय सुझाने का भी प्रयास है।