आजम खान की जेल से लिखी चिट्ठी में क्या है जिससे सकते में है सपा और कांग्रेस?

आजम खान ने जेल से लिखी चिट्ठी में INDIA ब्लॉक की पार्टियों यानी सपा और कांग्रेस पर रामपुर के मुद्दों को नजरअंदाज करने और मुस्लिम लीडरशीप को खत्म करने जैसे आरोप लगाए हैं।

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Azam Khan (File Photo)

सपा नेता आजम खान। फोटोः IANS

लखनऊ: इंडी गठबंधन का नेतृत्व किसे करना चाहिए, इसे लेकर चल रहे बहस के बीच जेल में बंद समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान का एक पत्र चर्चा में है। जेल से लिखे इस पत्र में आजम खान ने उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा है। आजम खान ने 'रामपुर के मुद्दों को नजरअंदाज करना' और मुस्लिम नेतृत्व पर विपक्षी गठबंधन के रुख पर सवाल उठाए हैं।

आजम खान की चिट्ठी से सकते में सपा और कांग्रेस

रामपुर की एक अदालत द्वारा 2016 के डकैती और हमले के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आजम खान वर्तमान में सीतापुर जेल में 10 साल की जेल की सजा काट रहे है। उन पर 100 से अधिक मामले हैं और अब तक छह में उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है।

रामपुर कभी सपा नेता आजम खान का गढ़ हुआ करता था। बहरहाल, आजम खान के ताजा पत्र ने उनकी पार्टी सपा और कांग्रेस दोनों को सकते में डाल दिया है। सपा ने जहां इस चिट्ठी एक तरह से चुप्पी साध रखी है, तो वहीं कांग्रेस भी अपने सहयोगी दल की ओर से खान की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करने से असहज नजर आ रही है।

आजम खान ने चिट्ठी में क्या लिखा है?

सपा जिला अध्यक्ष अजय सागर के लेटरहेड पर लिखे गए पत्र में आजम खान ने पार्टी से आग्रह किया है कि वह संसद में 'रामपुर में मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार' का मुद्दा उठाए, जैसे वे संभल का मुद्दा उठा रहे थे।

चिट्ठी में लिखा गया है, 'INDIA ब्लॉक रामपुर के पतन का मूकदर्शक बना हुआ है और उसने वहां मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करने का काम किया है। उसे अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और मुसलमानों की स्थिति और भविष्य पर विचार करना होगा।' पत्र में यह भी कहा गया है कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय को उन लोगों द्वारा सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है जो 'इसके खिलाफ साजिश रचते हैं' और 'केवल सहानुभूति दिखाते हैं।'

वहीं, अजय सागर ने चिट्ठी के इस पूरे प्रकरण पर कहा है कि वह जेल में आजम खान से मिलने गए थे और केवल इसलिए पत्र जारी किया क्योंकि उनसे ऐसा करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, 'पार्टी नेतृत्व ने मुझसे संपर्क नहीं किया है। उन्होंने (खान ने) बस अपने दिल से बात की और उनकी इच्छा के अनुसार, मैंने इसे बता दिया।'

सपा और अखिलेश यादव से आजम खान की नाराजगी

आजम खान की यह चिट्ठी उस समय सामने आई है जब पिछले कुछ महीनों से उनके और अखिलेश यादव के बीच नाराजगी की खबरें आती रही हैं। इसी साल लोकसभा चुनाव के दौरान मोहिबुल्लाह नकवी को रामपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आजम खान के साथ संबंधों में खटास की बात सामने आई थी।

आजम खान के कट्टर आलोचक रहे नकवी ने 90,000 से अधिक वोटों से चुनाव में जीत हासिल की। कांग्रेस-सपा गठबंधन ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें जीतीं। सपा ने 37 सीटें जीतकर अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया। इससे पहले भी आजम खान ने उन्हें जेल से बाहर निकालने के लिए 'पर्याप्त प्रयास नहीं करने' के लिए सपा से नाखुशी व्यक्त की थी।

बहरहाल, सपा प्रदेश नेतृत्व ताजा पत्र से दूरी बनाता नजर आ रहा है। वहीं, पार्टी नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि आजम खान एक वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी उनके साथ खड़े होने के लिए सब कुछ कर रही है। दूसरी ओर पूर्व सपा सांसद एमटी हसन ने उनके बयान को व्यक्तिगत बताया। उन्होंने कहा, 'उनकी टिप्पणी सपा में मुस्लिम नेतृत्व के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करती है। उनकी वजह से मुझे टिकट नहीं दिया गया लेकिन सच्चाई यह है कि सपा ही मुस्लिमों की एकमात्र शुभचिंतक है।'

कांग्रेस-सपा में भी मनमुटाव?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार आजम खान की चिट्ठी पर कांग्रेस के नेताओं की ओर से खुलकर कुछ भी नहीं कहा गया है। वहीं, सूत्रों के हवाले से एक सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा, 'ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए जो पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं लेकिन सपा चुप्पी साधे हुए है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सपा नेता क्या दावा करते हैं, लेकिन राज्य में अल्पसंख्यक भी दलितों की तरह ही कांग्रेस की ओर उम्मीद लगाए बैठे हैं।'

हाल में हुए उपचुनाव में भी सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर दूरियां स्पष्ट नजर आई थी। अभी संसद सत्र में भी अदानी ग्रुप के खिलाफ कांग्रेस के आक्रामक रवैये को लेकर भी सपा उसके साथ नहीं दिख रही। सपा सांसद डिंपल यादव ने बुधवार को कहा कि पार्टी चाहती है कि संसद चले। वह अदानी या सोरोर मुद्दे के साथ नहीं है। विधान सभा की भी बात करें तो
जहां कांग्रेस ने पहले ही राज्य में कथित रूप से बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के विरोध में 18 दिसंबर को विधानसभा के घेराव की योजना बनाई है, वहीं सपा ने अभी तक सत्र के लिए अपनी रणनीति की घोषणा नहीं की है।

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