कैंसर से लड़ाई में आयुष्मान भारत योजना साबित हो रहा बड़ा हथियार! लैंसेट की स्टडी में दावा

भारत में इस मानक को लागू करने के लिए पांच हजार रेडियोथेरेपी इकाइयों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में केवल एक हजार से कम हैं, यानी चार हजार मशीनों की कमी है।

Ayushman Bharat scheme effective in fighting cancer, Lancet study reveals

कैंसर से लड़ाई में आयुष्मान भारत योजना कारगर, लैंसेट के अध्ययन में खुलासा (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत में कैंसर के इलाज में एक बड़ी सुधार देखने को मिली है। पिछले छह सालों में कैंसर के रोगियों के इलाज में समय पर शुरुआत करने की संभावना 36 फीसदी बढ़ गई है।

इस सुधार का मुख्य कारण आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) है, जो साल 2018 में शुरू की गई थी। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, इस अध्ययन में पाया गया कि समय पर इलाज का मतलब है कि कैंसर का पता चलने के 30 दिनों के भीतर इलाज शुरू हो।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सात बड़े अस्पतालों में 6,695 कैंसर रोगियों के इलाज का विश्लेषण किया गया। इसमें देखा गया कि ज्यादातर रोगियों ने 20 दिनों के भीतर इलाज शुरू कर दिया। कुछ ही लोग ऐसे थे, जिन्हें दो महीने तक इंतजार करना पड़ा।

यही नहीं रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वर्ष 2018 के बाद कैंसर का पता चलने वाले रोगियों में इलाज जल्दी शुरू करने की संभावना 36 फीसदी ज्यादा थी, जबकि 1995 से 2017 के बीच के रोगियों में यह कम थी।

बता दें कि आयुष्मान भारत योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब परिवारों को पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलता है, जिससे उन्हें इलाज के खर्च को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होती।

अब 70 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों को भी किया योजना में शामिल

सरकार ने हाल ही में इस योजना को और बढ़ाया है, और अब 70 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों को भी इस योजना में शामिल किया गया है। इस योजना में कैंसर के इलाज के लिए 557 पैकेज दिए गए हैं।

अध्ययन में यह भी बताया गया कि इलाज में देरी के कई कारण हैं, जैसे खराब शिक्षा, गरीबी, सामाजिक सोच और स्वास्थ्य सेवाओं से दूर होना। इसके अलावा रेडियोथेरेपी (कैंसर के इलाज के लिए जरूरी तकनीक) की कमी भी एक बड़ी समस्या है।

भारत में इस इलाज के लिए जितनी मशीनों की जरूरत है, उतनी नहीं हैं। आम तौर पर हर 2,50 हजार लोगों के लिए एक रेडियोथेरेपी इकाई होती है, जो हर 10 लाख लोगों के लिए लगभग चार मशीनों के बराबर है।

भारत में फिलहाल इतनी रेडियोथेरेपी इकाइयों की है जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इस मानक को लागू करने के लिए पांच हजार रेडियोथेरेपी इकाइयों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में यह एक हजार से भी कम हैं। यानी चार हजार से अधिक मशीनों की कमी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस क्षेत्र में सुधार करना चाहिए और रेडियोथेरेपी की सुविधा बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए जांच (स्क्रीनिंग) कार्यक्रमों को भी बढ़ाना चाहिए, ताकि बीमारी का समय रहते इलाज हो सके।

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