नई दिल्ली: हरियाणा के निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद करने की धमकी दी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), हरियाणा ने बताया है कि योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों का करीब 400 करोड़ रुपया सरकार पर बकाया है। आईएमए के अनुसार अगर इन रुपयों का भुगतान नहीं होता है तो 3 फरवरी से राज्य के अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद कर दिया जाएगा।
आईएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘हरियाणा के सभी सूचीबद्ध अस्पतालों ने कार्रवाई करने के लिए हमसे फिर से संपर्क किया है और सूचित किया है कि यदि निम्नलिखित मांगें जल्द ही पूरी नहीं की गईं, तो वे 3 फरवरी 2025 से आयुष्मान सेवाओं को निलंबित करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।’
हरियाणा में आयुष्मान योजना में शामिल 1300 अस्पताल
हरियाणा में लगभग 1,300 अस्पताल हैं जो आयुष्मान योजना में शामिल हैं। इनमें 600 निजी अस्पताल भी हैं। साल 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना प्रति परिवार सालाना 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का कवरेज प्रदान करती है। वर्तमान में हरियाणा में लगभग 1.2 करोड़ लोग इस योजना के लाभार्थी हैं।
इस योजना का लाभ सलाना 2.5 लाख रुपये से कम कमाने वाला परिवार और बुजुर्ग ले सकते हैं। इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के रूटिन मेडिकल टेस्ट सहित ऑपरेशन आदि भी बिना कोई शुल्क दिए कराये जा सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार आईएमए (हरियाणा) के अध्यक्ष डॉ. महावीर जैन ने कहा कि निजी अस्पतालों का भुगतान महीनों से लंबित है। अस्पतालों द्वारा चिकित्सा बिलों में पहले से ही छूट दी जा रही है। अगर उन्हें न्यूनतम
राशि भी नहीं मिलेगी तो वे कैसे अपना काम जारी रख सकेंगे। उन्होंने कहा कि करीब 400 करोड़ बकाया है। अस्पतालों का भुगतान तत्काल किया जाना चाहिए क्योंकि अब डॉक्टरों के लिए अब बिना फंड के अस्पताल चलाना
मुश्किल हो रहा है।
आईएमए ने ये सात मांगें सरकार के सामने रखी हैं-
1. सभी बकाया का तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए।
2. ऐसी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए कि पीपीडी द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद कोई कटौती नहीं की जाए। सभी दस्तावेजों की पुष्टि के बाद प्री-अप्रूवल दिया जाए और राशि स्वीकृत हो जाने के बाद कोई कटौती नहीं की जाएगी।
3. चूंकि माननीय मुख्यमंत्री पहले से ही इस योजना का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए इस योजना के लिए अलग से उचित आवंटन (लगभग 2000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) किया जाना चाहिए।
4. टीएमएस-2 पोर्टल सभी सदस्यों के लिए भारी गड़बड़ी और सिरदर्द वाला रहा है। इसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए और तब तक हमें वापस टीएमएस 1 में स्थानांतरित करना चाहिए।
5. नकद सहमति फॉर्म हाल ही में वापस ले लिया गया था। माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा ने इसकी फिर से बहाली पर सहमति व्यक्त की थी। इसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।
6. कई सदस्यों का टीएमएस-1 भुगतान भी लंबित है। रोस्टर बनाकर ऐसे भुगतानों का निस्तारण किया जाए।
7. विलंबित भुगतान पर ब्याज भी एमओयू के अनुसार दिया जाना चाहिए और सभी संबंधित अस्पतालों को इसका भुगतान किया जाना चाहिए। एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में एक बैठक में यह मामला मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने उठाया गया था और उन्होंने तत्काल धनराशि जारी करने का आदेश दिया था। हालांकि अस्पतालों को लंबित बकाया का एक अंश ही मिला।
बयान में कहा गया, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 15 दिन बीत जाने के बाद भी हमारे सदस्यों को कोई महत्वपूर्ण राशि नहीं मिली है। साथ ही प्राप्त राशि में भी बड़ी अनुचित कटौती की गई है। यह चिंता का विषय है और इससे
हमारे सदस्यों को बहुत परेशानी हुई है।’