बेंगलुरू पुलिस ने निकिता को उनके जौनपुर आवास पर एक नोटिस चस्पा किया था जिसमें तीन दिनों के भीतर बयान दर्ज कराने को कहा गया था।
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बेंगलुरुः टेक्नीशियन अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में बेंगलुरू पुलिस ने अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी माँ निशा और भाई अनुराग सिंघानियान को गिरफ्तार किया है। डीसीपी (व्हाइटफील्ड डिवीजन) शिवकुमार के अनुसार, निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। जबकि उनकी माँ निशा और भाई अनुराग सिंघानिया को प्रयागराज से हिरासत में लिया गया। तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
निकिता के रिश्तेदार सुशील सिंघानिया की तलाश
पुलिस ने बताया कि निकिता सिंघानिया को इस मामले में आरोपी नंबर 1, उनकी माँ को आरोपी नंबर 2, और उनके भाई को आरोपी नंबर 3 बनाया गया है। तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने, उत्पीड़न और जबरन वसूली का आरोप है। पुलिस का कहना है कि निकिता और उनके परिवार ने अतुल पर मानसिक दबाव बनाया, जिससे उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। पुलिस ने बताया कि एक अन्य आरोपी, निकिता के रिश्तेदार सुशील सिंघानिया, की भूमिका की जांच की जा रही है और उसकी तलाश जारी है।
अतुल ने सुसाइड नोट में क्या आरोप लगाए हैं?
अतुल ने आत्महत्या से पहले 1 घंटे 23 मिनट का एक वीडियो और 24 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने निकिता और उनके परिवार पर मानसिक उत्पीड़न, जबरन वसूली और झूठे मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाया था। अतुल ने दावा किया कि मामले को निपटाने के लिए सिंघानिया परिवार ने 3 करोड़ रुपये मांगे थे।
अतुल के आरोपों के अनुसार, निकिता ने उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवाए थे। बाद में निकिता सिंघानिया ने तलाक का मुकदमा और सीजेएम कोर्ट में हत्या, मारपीट और अप्राकृतिक यौन संबंध के मुकदमे को बाद में वापस ले लिया था। जौनपुर की अदालत में सुभाष पर तीन मुकदमे चल रहे हैं। अतुल ने आरोप लगाया कि जज ने भी उनसे मामले को निपटाने के लिए 5 लाख रुपये मांगे थे।
अतुल मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे और उनके ससुराल वाले मूल रूप से जौनपुर के। इस मामले की सुनवाई जौनपुर फैमिली कोर्ट में चल रही थी। इसमें एक मुकदमा दहेज प्रथा और मारपीट को लेकर है जिस पर अगली सुनवाई 12 जनवरी 2025 को तय है।
पुलिस ने निकिता को बयान दर्ज कराने के लिए भेजा था नोटिस
बेंगलुरू पुलिस ने निकिता को उनके जौनपुर आवास पर एक नोटिस चस्पा किया था जिसमें तीन दिनों के भीतर बयान दर्ज कराने को कहा गया था। इसके बावजूद जब वह पेश नहीं हुईं, तो गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई। इस बीच, निकिता और उनके परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस मामले में साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस ने फॉरेंसिक और साइबर विशेषज्ञों की मदद ली है।