नई दिल्लीः दिल्ली कैबिनेट की एकमात्र महिला मंत्री आतिशी मार्लेना दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनेंगी। मंगलवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर मुहर लगा दी। खबरों की मानें तो सीएम की रेस में कैलाश गहलोत का भी नाम था। लेकिन आतिशी ने बाजी मार ली। आतिशी का नाम केजरीवाल ने विधायक दल की बैठक में प्रस्तावित किया, जिसे पार्टी के विधायकों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं होगा और आतिशी 26-27 सितंबर को होने वाले विशेष विधानसभा सत्र के दौरान शपथ लेंगी। आतिशी कालका जी से विधायक हैं। 2020 में वह विधायक बनीं और 2023 में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया। और अब 2024 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।
उनकी नियुक्ति पर बोलते हुए दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने कहा, कठिन समय में जिम्मेदारी आतिशी को दी गई है। आप सरकार को अस्थिर करने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा था। पार्टी ने इन प्रयासों को विफल कर दिया। गोपाल राय ने कहा कि हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। जब तक चुनाव नहीं हो जाते, दिल्ली की जनता केजरीवाल को विजयी घोषित नहीं कर दिया जाता, तब तक सीएम पद की जिम्मेदारी आतिशी के पास होगी ।
बता दें अरविंद केजरीवाल द्वारा शराब नीति मामले में अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद कई आप नेताओं के नाम शीर्ष पद के लिए चर्चा में थे। इनमें मंत्री आतिशी, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल शामिल थे। हालांकि, आतिशी शीर्ष पद की दौड़ में सबसे आगे थीं क्योंकि उन्होंने केजरीवाल और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद पार्टी में केंद्रीय भूमिका निभाई थी।
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21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया। उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भी जेल में होने के कारण, पार्टी और सरकार में दूसरा कोई नेता कमान संभालने के लिए मौजूद नहीं था। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, अटकलें थीं कि आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, केजरीवाल ने जेल से ही सरकार चलाने का फैसला किया।
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर क्यों जताया भरोसा?
पिछले साल 9 मार्च को आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली। उनका यह प्रमोशन मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद हुआ, जो कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के चलते तिहाड़ जेल में थे। जहां सौरभ भारद्वाज को स्वास्थ्य, शहरी विकास, जल और उद्योग विभागों की जिम्मेदारी दी गई, वहीं आतिशी को 14 विभागों का प्रभार मिला।
आतिशी जिन प्रमुख मंत्रालयों का संचालन करती हैं, उनमें शिक्षा, वित्त, योजना, लोक निर्माण विभाग (PWD), जल, ऊर्जा और जनसंपर्क शामिल हैं। आतिशी द्वारा देखे जा रहे 14 मंत्रालयों में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण विभाग है। आम आदमी पार्टी ने अपनी शिक्षा नीति, विशेष रूप से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे और पाठ्यक्रम को उन्नत करने पर जोर दिया है।
आतिशी को शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने से उनकी पार्टी में कद और बड़ा हो गया। अप्रैल 2018 तक उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में कार्य किया, जिससे उनकी स्थिति को और मजबूती मिली।
सिसोदिया के सलाहकार रहते हुए, ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ और ‘एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम’ को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शुरू किया गया, जो छात्रों के इमोशनल वेल बीइंग और कौशल विकास पर केंद्रित हैं।
एक रोड्स स्कॉलर, आतिशी आम आदमी पार्टी के सबसे शिक्षित सदस्यों में से एक हैं जो पार्टी के शहरी, मध्यम वर्गीय समर्थन आधार को आकर्षित करती हैं। आतिशी की पृष्ठभूमि शिक्षा, नीति और प्रशासन में है। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा प्राप्त की और बाद में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की।
आप में शामिल होने से पहले, आतिशी ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में सात साल बिताए, जहां उन्होंने जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों में काम किया। वहां उन्होंने कई गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम किया और पहली बार आप के कुछ सदस्यों से मिलीं।
आतिशी आम आदमी पार्टी के गठन के समय से ही पार्टी से जुड़ी हुई हैं। 2013 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणा पत्र समिति की एक प्रमुख सदस्य के रूप में, उन्होंने पार्टी की नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।