कोलकाताः भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को भीषण चक्रवात रेमल को लेकर अलर्ट जारी किया। मौसम विभाग ने कहा कि बंगाल में भीषण चक्रवात तूूफान आने की आशंका है। इस तूफान के कारण 110-120 किमी प्रति घंटे से लेकर 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।
आईएमडी ने चक्रवात के मद्देनजर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए बहुत भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की है। आईएमडी ने अलर्ट जारी करते हुए कहा, ”पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी पर बना दबाव पिछले 6 घंटों के दौरान 15 किमी प्रति घंटे की गति से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ गया है। यह एक गहरे दबाव में बदल गया है। यह सुबह 5:30 बजे सागर द्वीप समूह (पश्चिम बंगाल) से लगभग 380 किमी दक्षिण-पूर्व में और कैनिंग (पश्चिम बंगाल) से 530 किमी दक्षिण-दक्षिण पूर्व में केंद्रित हो गया।”
रेमल शब्द का अर्थ क्या होता है?
रेमल शब्द का अर्थ “रेत” होता है, खासकर रेगिस्तानी इलाकों की रेत। यह शब्द अरबी भाषा से लिया गया है। चक्रवात रेमल का नामकरण इसी शब्द पर आधारित है, जो रेगिस्तानी तूफानों से जुड़ा हुआ है। यह नाम ओमान देश द्वारा सुझाया गया था, जो अरबी भाषा भाषी देश है।
चक्रवात रेमल कहां और कब तट पर आएगा?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वैज्ञानिक डॉ सोमेनाथ दत्ता ने बताया कि चक्रवात रेमल “संभावना के अनुसार” 26 मई की मध्यरात्रि को बांग्लादेश और उससे लगे पश्चिम बंगाल के तट पर दस्तक देगा। यह पश्चिम बंगाल में सागर द्वीप और बांग्लादेश में खेपुपारा के बीच कहीं भी तट पर आ सकता है।
#WATCH | Kolkata, West Bengal: On cyclone Remal, IMD scientist Dr Somenath Dutta says, “The cyclone will hit the coast of Bangladesh and its adjoining coasts on the midnight of May 26… It will cross the coast as a severe cyclonic storm… The coastal districts will have the… pic.twitter.com/o7KJqUHB79
— ANI (@ANI) May 24, 2024
रेमल कितना तीव्र तूफान होगा?
डॉ सोमेनाथ दत्ता के मुताबिक, चक्रवात रेमल एक गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के तटों को पार करेगा। चक्रवात के पश्चिम बंगाल तट पर आने का सीधा असर तटीय जिलों में देखने को मिलेगा। दक्षिण 24 परगना, पूर्वी मेदिनिपुर, हावड़ा, हुगली, कोलकाता और नादिया सहित क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, आईएमडी वैज्ञानिक ने स्पष्ट किया कि पहला प्रभाव तटीय जिलों में ही देखने को मिलेगा।
बड़े स्तर पर नुकसान होने की आशंका!
आईएमडी की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में फूस के घरों, फसलों, पेड़ों के उखड़ने और निचले इलाकों में बाढ़ से बड़े नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं इस गंभीर चक्रवात के खतरे से बिजली और संचार लाइनों को भारी नुकसान हो सकता है।
एनडीआरएफ की 12 टीमें तैनात
चक्रवात की तैयारियों की समीक्षा को लेकर राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में बैठक हुई। कैबिनेट सचिव ने कहा कि चक्रवात की स्थिति से निपटने के लिए सभी केंद्रीय एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट पर हैं। एनडीआरएफ की 12 टीमों को तैनात किया गया है जबकि पांच अतिरिक्त टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। जहाजों और विमानों के साथ सेना, नौसेना और तटरक्षक बल की बचाव और राहत टीमों को तैयार रखा गया है।
संभावित खतरों को लेकर शिपिंग महानिदेशक द्वारा कोलकाता और पारादीप के बंदरगाहों पर अलर्ट जारी किया गया है। वहीं विद्युत मंत्रालय द्वारा तत्काल बिजली बहाली के लिए आपातकालीन टीमों को तैनात किया गया है। कैबिनेट सचिव ने पश्चिम बंगाल सरकार से चक्रवाती तूफान से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्रों में बड़े होर्डिंग लगाने की समीक्षा करने को कहा है।
चक्रवात रेमल के कारण किन-किन जगहों पर बारिश की चेतावनी और अलर्ट जारी किए गए हैं?
पश्चिम बंगाल के अधिकांश जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हो रही है। लेकिन 26 और 27 मई को तटीय जिलों में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। 26 मई को पश्चिम बंगाल के कुछ तटीय जिलों में अत्यधिक भारी बारिश भी हो सकती है। 27 और 28 मई को भारी बारिश जारी रह सकती है।
ओडिशा की बात करें तो यहां 25 और 26 मई को उत्तर ओडिशा के तटीय इलाकों में भारी बारिश होने की संभावना है। जबकि पूर्वोत्तर भारत- मिजोरम, त्रिपुरा और दक्षिण मणिपुर के कुछ हिस्सों में में 26 मई को हल्की से मध्यम बारिश के साथ भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।
27 और 28 मई को असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा में बारिश होने का अनुमान है। 27 और 28 मई को असम और मेघालय, 28 मई को अरुणाचल प्रदेश और 27 मई को मिजोरम और त्रिपुरा में अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है।
भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि तट पर आने के समय तूफान के कारण समुद्र का जलस्तर लगभग एक मीटर तक बढ़ सकता है, जिससे पश्चिम बंगाल के निचले इलाकों में और बांग्लादेश में 1.0-1.5 मीटर तक पानी भर सकता है।