नई दिल्ली: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मुख्य प्रधान सचिव और पूर्व आईएएस अधिकारी केएम अब्राहम को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें सीबीआई को अब्राहम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की दो सदस्यीय पीठ ने आदेश देते हुए कहा, "हम केरल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने अब्राहम की अपील पर सुनवाई करते हुए सीबीआई, केरल सरकार और शिकायतकर्ता कार्यकर्ता जोमन पुथेनपुरक्कल को नोटिस भी जारी किया है।

अब्राहम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बासंत ने दलील दी कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत धारा 17ए के अंतर्गत आवश्यक पूर्व अनुमति के बिना कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट ने क्यों दी थी सीबीआई जांच की अनुमति?

इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने जोमन पुथेनपुरक्कल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर अब्राहम के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। अदालत का मानना था कि अब्राहम के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पर्याप्त नहीं है क्योंकि वे "जनविश्वास उत्पन्न करने में असफल" होंगे। चूंकि अब्राहम को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था, इसलिए अदालत ने सीबीआई जांच को जरूरी बताया।

हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि राज्य सतर्कता विभाग ने अपनी प्रारंभिक जांच में अब्राहम की संपत्तियों का मूल्य जानबूझकर कम आंका ताकि उन्हें बचाया जा सके।

विशेष अदालत से याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट पहुंचे थे शिकायतकर्ता

गौरतलब है कि इससे पहले एक विशेष अदालत ने अब्राहम के खिलाफ सतर्कता जांच की मांग करने वाली पुथेनपुरक्कल की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसमें पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की, जहां से उन्हें राहत मिली। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब्राहम ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की, जिसपर शीर्ष अदालत ने अंतरिम राहत दी है।