गुवाहाटीः असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने आधार को लेकर बड़ा फैसला किया है जिसके तहत राज्य में 18 से अधिक उम्र वाले लोगों के आधार कार्ड बनाने पर रोक लगाई गई है। हालांकि, इससे अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और चाय बागानों में काम करने वाले समुदायों को छूट दी गयी है। 

राज्य कैबिनेट मीटिंग में 21 अगस्त (गुरुवार) को यह फैसला लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की। सरकार ने इस बाबत एक बयान जारी कर कहा है कि "राज्य मंत्रिमंडल ने 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के आधार नामांकन के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया की अधिसूचना/कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है ताकि किसी भी घुसपैठिए के आधार नामांकन में धोखाधड़ी की संभावना को रोका जा सके।"

सरकार ने अपने बयान में क्या कहा?

सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक, यह प्रतिबंध एससी, एसटी और चाय बागानों में काम करने वाले समुदायों पर लागू नहीं होगा। इन समुदायों के लोग अगले एक साल तक आधार के लिए नामांकन कर सकेंगे। सीएम हिमंत ने कहा कि इन समुदायों के लोगों का आधार नामांकन अभी पूर्ण नहीं हुआ है। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने आधार के फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवैध बांग्लादेशी प्रवासी पकड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सात लोगों को कल वापस भेजा गया है। 

असम सरकार ने कड़ी कार्रवाई की थी घोषणा

इसी साल अप्रैल में असम सरकार ने उन आधारकार्ड धारकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की घोषणा की थी जिन्होंने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में अपना नाम शामिल कराने के लिए आवेदन नहीं किया था। इस दौरान ही सरमा ने कहा था कि सरकार ने एनआरसी के लिए आवेदन न करने वालों को आधार जारी करना बंद कर दिया था। 

बीते साल सितंबर में सरमा ने कहा था कि चार जिलों में अनुमानित जनसंख्या से ज्यादा आधार कार्ड धारक हैं। ये चार जिले बरपेटा, धुबरी, मरिगांव और नगांव हैं।