मुंबईः महाराष्ट्र की असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (एपीआई) अश्विनी बिद्रे की 2016 में हुई निर्मम हत्या के मामले में पनवेल सेशन कोर्ट ने सोमवार, 21 अप्रैल को मुख्य आरोपी और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अभय कुरुंदकर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने साथ ही उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने पाया कि अभय कुरुंदकर ने अश्विनी बिद्रे का अपहरण किया, उनकी हत्या की और शव को टुकड़ों में काटकर भायंदर खाड़ी में ठिकाने लगाया। उसने दो अन्य आरोपियों- महेश फलनिकर और कुंदन भंडारी, की मदद से सबूत नष्ट किए। कोर्ट ने इन दोनों को सबूत मिटाने के आरोप में आईपीसी की धारा 201 के तहत दोषी ठहराया और 7 साल की सजा सुनाई। हालांकि दोनों को उसी दिन रिहा कर दिया गया क्योंकि वे पहले ही सात साल जेल में बिता चुके थे।
हत्या की भयावह साजिश
2016 में मीरा रोड स्थित अपने घर में अभय कुरुंदकर ने कथित तौर पर अश्विनी बिद्रे के सिर पर बल्ले से हमला कर हत्या की थी। इसके बाद उसने शव के टुकड़े किए, उन्हें फ्रिज में रखा और फिर धीरे-धीरे वसई खाड़ी में फेंक दिया। पुलिस को आज तक अश्विनी का शव नहीं मिल पाया है। मामले की जांच में पुलिस ने अश्विनी का मोबाइल, लैपटॉप और कुरुंदकर के फोन से डेटा बरामद किया था, जिससे यह सामने आया कि हत्या से पहले दोनों मिले थे।
परिवार की बात सुनी कोर्ट ने
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सेशन कोर्ट के जज पी. पालदेवरने यह फैसला सुनाया, जिसमें अश्विनी की बेटी सिद्धि, पति राजू गोरे, पिता जयकुमार बिद्रे और भाई आनंद बिद्रे को सजा सुनाए जाने से पहले अपनी बात रखने का मौका दिया गया। कोर्ट में सजा सुनाने के दिन भारी सुरक्षा के बीच अभय कुरुंदकर और अन्य आरोपियों को लाया गया।
अश्विनी के गांव अल्टे और हटकनंगले से करीब 1,000 लोग कोर्ट पहुंचे थे। मामले में विशेष सरकारी वकील प्रदीप घराट ने अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया, जबकि बचाव पक्ष की ओर से वकील विशाल भानुशाली ने दलीलें रखीं।